UP Power Strike: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को आंदोलन से दूर रहने की चेतावनी दी गई है. आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने कहा है कि अगर आउटसोर्स कर्मी आंदोलन का हिस्सा बनेंगे तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएगी. पूरी खबर पढ़िए
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UP Power Strike: यूपी में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और बिजली कर्मी आमने-सामने आ गए हैं. जहां एक ओर पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति ने प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है, तो वहीं दूसरी ओर आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने आउटसोर्स कर्मियों को आंदोलन से दूर रहने को कहा है. आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कोई भी आउटसोर्स कर्मी आंदोलन का हिस्सा बनेगा तो उसकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएगी. सभी जिलों में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. जहां से कर्मचारी संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.
आउटसोर्सिंग एजेंसियों की सख्त चेतावनी
आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने चेतावनी देते हुए अपने कर्मचारियों को आंदोलन से अलग रखने की सलाह दी है. कोई भी कर्मचारी आंदोलन में हिस्सा लेगा तो उसकी सेवा समाप्त की जाएगी. विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले कर्मियों पर नजर रखने के भी इंतजाम किए गए हैं. अधिकारियों व कर्मचारियों को छुट्टी नहीं दी जाएगी और जो छुट्टी पर हैं, उन्हें बुलाने का आदेश दिया गया है. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तानों से सहयोग लिए जाने के आदेश जिलों में तैनात अधिकारियों को दिया गया है.
बिजलीकर्मियों की हड़ताल का पहला दिन
आज बिजलीकर्मियों की हड़ताल का पहला दिन है. दरअसल, दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम को पीपीपी मॉडल के RFP (रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल) का प्रस्ताव को ऊर्जा विभाग अगली कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखने की तैयारी कर रहा है. इस फैसले का विरोध करते हुए संघर्ष समिति पूरे प्रदेश में 7 दिसंबर को विरोध सभाएं आयोजित कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में ESMA लागू
बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए शासन ने भी कमर कस ली है. प्रदेश में चल रहे आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों के बीच सरकार ने राज्य में एस्मा (ESMA) लागू किया है. सरकार ने प्रदेश के किसी भी विभाग में हड़ताल करने पर रोक लगाया है. उत्तर प्रदेश नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी विभागों को निर्देश जारी किया है.
क्या है इसका मकसद?
इस कानून को लाने का मकसद था देश में बिजली सप्लाई, ट्रांसपोर्ट और मेडिकल सर्विसेस समेत जरूरी सेवाओं के मेंटेनेंस को सुनिश्चित करना. ये कानून राज्य सरकारों को जरूरी सेवाओं को बाधित करने वालों के खिलाफ गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने समेत सख्त कार्रवाई करने का अधिकार देता है. ऐसे में जब कहीं ESMA के प्रावधान लागू होते हैं तो सरकारी कर्मचारी और अफसरों पर कई पाबंदियां लग जाती हैं. जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार के कर्मचारी ओवरटाइम करने से भी इनकार नहीं कर सकते.
अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे एक साल की जेल और एक हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है. इतना ही नहीं नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस किसी को भी बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है.
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