UPPCL: नहीं होगा बिजली विभाग का निजीकरण!, सारी वसूली होने से खत्म हो जाएगी दिक्कत
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UPPCL: नहीं होगा बिजली विभाग का निजीकरण!, सारी वसूली होने से खत्म हो जाएगी दिक्कत

UPPCL Privatization: उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग की तरफ से एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है. जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण चर्चा तेज हो गई है. पढ़िए पूरी खबर ... 

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UPPCL Latest News: उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग की तरफ से एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है. जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण चर्चा तेज हो गई है. निगम का कहना है कि वह लगातार घाटे में चल रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाया जाएगा. हाल ही में इस पर अधिकारियों की बैठक में सहमति भी बन चुकी है. हालांकि, इस कदम के खिलाफ विरोध भी देखा जा रहा है. 

एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा
वर्तमान में प्रदेश की बिजली कंपनियों पर करीब एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा बताया जा रहा है. जबकि पावर कॉरपोरेशन यह भी मानता है कि राज्य के उपभोक्ताओं पर लगभग एक लाख 15,825 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है. इसका मतलब यह है कि अगर पावर कॉरपोरेशन इस बकाए का वसूलन कर लेता है. तो घाटे का सवाल ही नहीं रह जाएगा.

कितना बकाया
दक्षिणांचल 24947 करोड़ रुपए
पूर्वांचल 40962 करोड़ रुपए
मध्यांचल 30031 करोड़ रुपए
पश्चिमांचल 16017 करोड़ रुपए
केस्को 3866 करोड़ रुपए
कुल डिस्कॉम 11,5825 करोड़ रुपए

औद्योगिक अस्थिरता
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन बिना किसी कारण के निजीकरण की बात कर प्रदेश में औद्योगिक अस्थिरता पैदा कर रहा है. उनके अनुसार पावर कॉरपोरेशन को यदि बकाए का भुगतान मिल जाए तो वह न केवल घाटे से उबर सकता है. बल्कि 5,825 करोड़ रुपये का मुनाफा भी कमा सकता है. जिससे वह अपने कर्ज की अदायगी भी कर सकेगा. अध्यक्ष के अनुसार पावर कॉरपोरेशन और राज्य सरकार के पास अभी भी समय है और वे बिजली निगमों में किफायती तरीके से राजस्व बढ़ाने, और टैरिफ से बाहर आय अर्जित करने पर ध्यान केंद्रित कर निगमों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं.

निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने की मांग
विद्युत संविदा मजदूर संगठन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण और संयुक्त उद्यम बनाने की प्रक्रिया को रोकने की मांग की है. संगठन ने 3 दिसम्बर को प्रदेश के हर जिले में सत्याग्रह करने का आह्वान किया है और ऊर्जा निगम के को इस संबंध में नोटिस भेजी है. वरिष्ठ मजदूर नेता ने बताया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन से बातचीत में संगठन ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक संविदा कर्मियों के वेतन में वृद्धि और सेवा में निरंतरता की गारंटी नहीं दी जाती. तब तक निगमों के ढांचे में किसी भी प्रकार के बदलाव में उनका सहयोग संभव नहीं है.

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