Govt Job in UP: सरकारी नौकरी में जहां नौकरी की सुरक्षा है तो वहीं कई फायदे हैं जैसे वर्क लाइफ बैलेंस, करियर में तरक्की, सामाजिक रुतबा और सबसे जरूरी जीवन में स्थिरता.
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Govt Job in Uttar Pradesh: प्रयागराज में इस समय सरकारी नौकरी करने वाले युवा राज्य लोकसेवा आयोग के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मामला सरकारी नौकरी का है तो युवा भी अपनी जगह डटे हुए हैं. पीसीएस के तहत 220 पद भरे जाने हैं और आरओ और एआरओ परीक्षा के तहत 411 पद भरे जाने हैं. पीसीएस के लिए जहां 5,74,538 उम्मीदवारों ने तो आर ओ और एआरओ के लिए 10,69,725 आवेदन आए थे. यानी इस विरोध प्रदर्शन से सीधे तौर पर 15 लाख से अधिक युवा प्रभावित हैं. सिर्फ एक पद के लिए ढाई हजार से अधिक लोगों के बीच मुकाबला है. अब आप अंदाजा लगाइए कि सरकारी नौकरी पाने के लिए कितनी अधिक प्रतिस्पर्धा है. यह सीधे तौर पर राज्य में बेरोजगारी की स्थिति को भी दर्शाता है. ये सरकारी नौकरियां उम्मीदवारों के आगे ऊंट के मुंह में जीरे की तरह लगती हैं.
मौजूदा परिस्थिति: इस साल अगस्त में सीएम योगी ने कहा था कि आगे आने वाले 2 साल में उनकी सरकार 2 लाख नौकरियां देगी. आइए आपके आगे एक तस्वीर पेश करते हैं कि सरकारी नौकरी की यूपी में स्थिति क्या है? इस समय यूपी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 7,401 CHO को भरा जाना है. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भी रजिस्ट्रार, असिस्टेंट आर्किटेक्ट, रीडर, प्रोफेसर संस्कृत, इंस्पेक्टर- सरकारी कार्यालय, रीडर ,प्रोफेसर अरबी के लिए भर्ती निकाली है. इससे 109 पद भरे जाएंगे. UPSSSC महिला स्वास्थ्य कर्मियों के 5272 पदों को भी भरेगा. सबसे अधिक चर्चा तो यूपी पुलिस की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा को लेकर है. इस परीक्षा से कुल 60, 244 पद भरे जाने हैं. अगर अप्लाई करने वालों की संख्या देखें तो ये 48 लाख से ऊपर है. यहां भी स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि एक समय में कुछ हजार पद निकलते हैं जिसके लिए लाखों आवेदन आ जाते हैं.
पिछले आंकड़े- आइए एक नजर पिछले साल के आंकड़ों पर डालते हैं. 2019 में सिपाही भर्ती परीक्षा के तहत ही 49 हजार से अधिक पदों को भरा गया था उस समय अप्लाई करने वालों की संख्या 20 लाख के आस पास थी. पांच साल पहले 69 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी. इसके लिए 4 लाख युवाओं ने अप्लाई किया था. 6 साल पहले ग्राम विकास अधिकारी के 1918 पद भरे जाने थे. जिसके लिए 14 लाख लोगों ने आवेदन किया था. हालांकि जहां योग्यता कम है तो वहां आवेदक अधिक हैं, लेकिन ये तो माना जा सकता है कि चाहे योग्यता कम हो या ज्यादा पदों की संख्या बहुत कम है.
यूपी में पिछली भर्तियों के आंकड़ों की बात की जाए तो 2022 में टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों के 4, 163 पद भरे गए थे. 2021 में इसी भर्ती के तहत 15,198 पद भरे गए थे. 2018 में 68,500 शिक्षकों को भर्ती किया गया था. यूं तो योगी सरकार का दावा है कि उसके कार्यकाल में अब तक 6 लाख से ज्यादा लोगों को सरकारी नौकरी मिली है. राज्य में इस समय बेरोजगारी दर भी ढाई प्रतिशत के आसपास बताई जाती है. हालांकि एक अनुमान के मुताबिक पिछले 7 साल में यूपी में सिर्फ 1.32 लाख सरकारी पद ही भरे गए हैं.
पिछली सरकारों का हिसाब किताब- एक आकंड़े के मुताबिक यूपी में 2012 से 2017 के बीच दो लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिली थी. ऐसे ही 2007 से 2012 के बीच 91 हजार लोगों को सरकारी नौकरी मिली थी. चूंकि पार्टियां दावों में बढ़ा चढ़ाकर ही बताती हैं इसलिए आप अनुमान लगा सकते हैं कि वाकई कितनी नौकरी मिली होगी.
इस साल इतने नियुक्ति पत्र बंटे- राज्य सरकार की मानें तो इस साल उसके द्वारा 7720 लेखपालों , 39 एसडीएम, 41 पुलिस उपाधीक्षक, 16-कोषाधिकारी/लोकाधिकारियों, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व विद्युत सेवा आयोग द्वारा चुने गए 1782 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र बांटे गए थे.
वहीं पिछले साल 7182 एएनएम स्वास्थ्य कार्यकत्रियों, एसजीपीजीआई में 1442 स्टाफ नर्सों , उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड द्वारा चयनित 1148 पद, कुशल खिलाड़ी कोटे में चयनित 227 आरक्षियों,199 समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (सचिवालय प्रशासन विभाग), 183 कनिष्ठ सहायक (परिवहन विभाग), 128 कनिष्ठ सहायक (निर्वाचन विभाग) समेत कुल 510 पद, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 400 पद, 1573 एएनएम, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा विभिन्न विभाग के 700 अभ्यर्थियों , खेल कोटे से 233 आरक्षियों, 278 सहायक आचार्य, 2142 स्टाफ नर्स व 48 आयुष चिकित्सा शिक्षक , 242 सहायक बोरिंग टेक्नीशियन को नियुक्ति पत्र मिले थे.
दूसरे करियर प्लान बनाना मजबूरी- इस समय युवाओं के आगे सबसे बड़ा सवाल यही है कि अपना करियर कैसे तय किया जाए जब सरकारी पद इतने कम हैं और उसकी भर्ती प्रक्रिया भी तय समय सीमा में नहीं हो पाती है. जो लोग सरकारी नौकरी का सपना देखते हैं उन्हें न चाहते हुए भी दूसरे करियर प्लान बनाने पड़ते हैं.
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