Shaniwar Upay: शनिदेव की टेढ़ी नजर से बचाते हैं ये उपाय, शत्रुओं पर होगी विजय, बनेंगे बिगड़े काम
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Shaniwar Upay: शनिदेव की टेढ़ी नजर से बचाते हैं ये उपाय, शत्रुओं पर होगी विजय, बनेंगे बिगड़े काम

Shaniwar Ke Upay: शनिवार के दिन कुछ उपाय कर आप शनिदेव की टेढ़ी नजर से बच सकते हैं. शनिदेव की सच्चे मन से उपासना कर आपको मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है. आइये जानते हैं शनिवार के उपाय...

Shaniwar Upay

Shaniwar Upay: आज आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. आज दिन शनिवार है. सनातन धर्म में यह दिन शनिदेव को समर्पित माना होता है. इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है. मान्यता है कि शनिवार को शनिदेव की पूजा करने और व्रत रखने से भक्तों को आशीर्वाद मिलता है. शनिदेव अगर अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाएं तो हर काम बनने लगते हैं. वहीं अगर किसी पर उनकी टेढ़ी नजर पड़ जाए तो जीवन कष्टों से भर जाता है. ऐसे में शनिवार के दिन कुछ विशेष उपाय करने से आप शनिदेव को खुश कर सकते हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ छोटे-बड़े उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइये जानते हैं...

शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय 
1. शनिवार को जल में थोड़ा सा शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें. मान्यता है कि इस उपाय से शनिदेव खुश होते हैं. इसके साथ ही महादेव का भी आशीर्वाद मिलता है.
2. शनिवार को शनि यंत्र को स्थापित करें. इसकी नियमित रूप से पूजा करें. इसके साथ ही नीले पुष्प अर्पित करें. 
3. आज के दिन शनि मंदिर जाकर सरसों का दीपक जलाएं. ऐसा करना शुभ होता है.
4. शमी के पेड़ को जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. दीपक में कुछ दाने काले तिल के भी डालें. 
5. पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें. इस दौरान ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें.

इन मंत्रों का करें जाप 

सुखद और सफल जीवन के लिए शनि का मंत्र 

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।

शनि देव महाराज का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।

साढ़ेसाती के प्रभाव से बचने का शनि मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

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