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Vrischika Sankranti 2024: हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि का खास महत्व है. वृश्चिक संक्रांति भगवान सूर्य देव की उपासना का दिन है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो यह घटना संक्रांति कहलाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को धन वैभव की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं वृश्चिक संक्रांति के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
कब है वृश्चिक संक्रांति
16 नवंबर 2024 शनिवार
वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त
सूर्य देव मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 नवंबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे. इस दिन पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है. वहीं, महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है.
वृश्चिक संक्रांति कब होती है
ग्रहों के राजा सूर्य एक राशि से जब दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन को संक्रांति कहते हैं. वहीं जब सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करते हैं, तो इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है. सूर्य देव एक राशि में 30 दिन तक रहते हैं.
वृश्चिक संक्रांति पूजा विधि (Vrishchik Sankranti Par Kya Kare)
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देवता को अर्घ्य दें. अगर हो सके तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें. इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें. धूप-दीप जलाकर भगवान सूर्य की आरती करें और सूर्यदेव के मंत्रों का जप करें. सूर्य देव को लाल फूल अर्पित करें. अंत में गुड़ से बने हलवा का भोग सूर्य देव को लगाएं.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.