ऐसा कोई नहीं होगा, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज की कहानियां या उनकी वीर गाथाएं सुनकर बड़ा न हुआ हो. ऐसे में आइए जानते हैं कि शिवाजी का आगरा से गहरा संबंध है.
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में जन्मे छत्रपति शिवाजी की वीरगाथाएं आज इतिहास के पन्नों को स्वर्णित करता है. बुधवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती मनाई गई. आप भी उनकी कहानियां और वीर गाथाएं सुनकर ही बड़े हुए होंगे.
बुधवार को आगरा किले में उनकी शौर्य गाथा गूंजी. छत्रपति शिवाजी महाराज के औरंगजेब के दरबार में आने और उसकी कैद से बचकर निकलने की शौर्य गाथा समेत अन्य अहम प्रसंगों का नाट्य मंचन किया गया. समारोह में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ ही एक्टर विक्की कौशल बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.
छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब के नाक में दम कर दिया था. महज 15 साल की उम्र में ही शिवाजी महाराज ने पहली बार मुगलों के विरुद्ध आक्रमण किया.
16 साल की उम्र में अपना कब्जा तोरणा किले पर किया. 17 साल की उम्र में रायगढ़ व कोंडला किले को शिवाजी ने जीत लिया. छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी. फिर औपचारिक रूप से सम्राट बने.
आगरा किले के उसी दीवान-ए-आम में, जहां मुगल बादशाह औरंगजेब ने तख्त पर बैठकर छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद करने का आदेश दिया था, इस बार उनकी जयंती नहीं मनाई गई.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने दीवान-ए-आम के स्थान पर जहांगीरी महल के बाहर स्थित पार्क में समारोह आयोजित करने की अनुमति दी.
छत्रपति शिवाजी महाराज का आगरा से गहरा कनेक्शन है, जहां 1666 में मुगल बादशाह औरंगजेब के साथ एक संधि के लिए उन्हें आगरा बुलाया गया था, लेकिन उन्हें सम्मान नहीं मिला और वे नजरबंद कर दिए गए थे.
बाद में शिवाजी ने फलों की टोकरी में छिपकर आगरा किले से भाग निकले थे. शिवाजी ने अपने बेटे संभाजी को भी फलों की टोकरी में छिपाकर आगरा से भागने की योजना बनाई थी.
3 अप्रैल 1680 को गंभीर बीमारी से उनका निधन हुआ, लेकिन उनका योगदान अमर रहा. उनके बाद पुत्र संभाजी ने राज्य संभाला. यूपी सरकार ने आगरा में बन रहे मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज कर दिया है.