BJP Jila Adhyaksh chunav: बीजेपी के जिलाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है. लेकिन पार्टी ने दो ऐसी शर्त तय की हैं, जिनको पूरा करने वाले ही चुनावी मैदान में उतर सकेंगे. इससे कई नेता जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर हो जाएंगे.
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UP BJP Jiladhyaksh Election: मंडल अध्यक्ष के बाद अब बारी बीजेपी के जिलाध्यक्षों के चुनाव की है. 10 जनवरी यानी कल से बीजेपी जिलाध्यक्ष के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. जिलाध्यक्ष बनने का सपना देख रहे कई नेताओं का सपना टूट सकता है. बीजेपी ने जिलाध्यक्ष के लिए दो बड़ी शर्तें रखी हैं, जिनको पूरा नहीं करने वाले पहले ही रेस से बाहर हो जाएंगे.
बीजेपी चाहती निर्विरोध बने जिलाध्यक्ष
बता दें कि यूपी में 98 पदों पर बीजेपी जिलाध्यक्षों का चुनाव होना है. बीजेपी चाहती है कि जितना संभव हो निर्विरोध ही जिलाध्यक्ष चुने जाएं. इससे पार्टी में एकजुटता का मैसेज जाएगा. लेकिन अगर चुनाव कराना ही पड़ता है तो उन नेताओं को नामांकन का मौका मिले जो इसके लिए सबसे योग्य हैं. इसी को लेकर बीजेपी ने जिलाध्यक्ष बनने के लिए दो बड़ी शर्तें रखी हैं. जिनको पूरा करने वाले ही जिलाध्यक्ष का चुनाव लड़ पाएंगे.
क्या हैं जिलाध्यक्ष बनने की पहली शर्त
बीजेपी जिलाध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले नेता की उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए. यानी इससे ज्यादा उम्र के नेता बीजेपी जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर हो जाएंगे. इस नियम से उन जिलाध्यक्षों के माथे पर भी चिंता की लकीरें आ गई हैं, जो 60 साल से ज्यादा की उम्र को पार कर गए हैं. कहा जा रहा था कि मौजूदा कई जिलाध्यक्षों को दोबारा कुर्सी मिल सकती है लेकिन 60 साल के नियम से कई जिलाध्यक्षों को मजबूरन कुर्सी छोड़नी पडे़गी.
ये नेता भी जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर
बीजेपी जिलाध्यक्ष बनने के लिए दूसरी शर्त यह है कि नेता कम से कम दो बार का सक्रिय सदस्य रहा हो. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की इस शर्त के पीछे मकसद है कि पार्टी के पुराने, वरिष्ठ और भरोसेमंद नेताओं को ही आगे बढ़ाया जाए. जबकि नए और दूसरे दलों से आए नेता फौरन जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर न बैठ सकें. क्योंकि बाहरियों को मौका देने से पार्टी कैडर में गलत संदेश जाएगा. यानी नए या दूसरे दलों से आए नेता जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर हो गए हैं.
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