Barabanki News: बाराबंकी में टिकटों के ऐलान के बाद भाजपा में भितरघात रोकना बड़ी चुनौती है. विपक्ष की मजबूत दावेदारी से सांसद-मंत्री और विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है.
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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: भारतीय जनता पार्टी ने नामांकन की समय सीमा खत्म होने के ठीक पहले नगर पालिका नवाबगंज और 13 नगर पंचायतों में अध्यक्ष और सभासद पद के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. काफी मंथन के बाद भी भाजपा ने ज्यादातर पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. वहीं, निकाय चुनाव के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भाजपा में अंदरखाने कहीं न कहीं असंतोष नजर आने लगा है. इनमें से कई दावेदार ऐसे हैं, जिन्होंने भाजपा से अपना टिकट पक्का मानकर नामांकन पत्र तक खरीद लिया था, लेकिन प्रत्याशियों की लिस्ट से नाम बाहर होते ही बगावती सुर सोशल मीडिया पर सामने आने लगे हैं. दूसरी तरफ सपा की मजबूत दावेदारी ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. ऐसे में चुनाव के दौरान भितरघात रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है. इसमें बाराबंकी से सांसद, मंत्री और विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है.
संघ और संगठन के बड़े नेताओं ने लगाया था पूरा जोर
दरअसल, प्रत्याशियों की देर में हुई घोषणा से ये तो साफ है की कैंडीडेट चयन को लेकर भाजपा असमंजस में थी. इस दौरान पार्टी के लिए काफी दिनों से काम करने वालों को मौका मिलने की बात कही जा रही थी. अगर हम बात नगर पालिका परिषद नवाबगंज की करें, तो पूर्व चेयरमैन शशि श्रीवास्तव को ही भाजपा ने एक बार फिर टिकट दिया है. इस टिकट के लिए भाजपा के पुराने नेता संतोष सिंह, पंकज गुप्ता पंकी और रचना श्रीवास्तव समेत तमाम नेता अपनी दावेदारी ठोंक रहे थे. इनमें से कई दावेदारों ने नामांकन पत्र भी खरीद लिया था. सूत्रों के मानें तो कई के लिए संघ और संगठन के बड़े नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया था.
वहीं, पार्टी भी अंत तक आश्वासन देती रही कि टिकट उनको ही मिलेगा. खुद का टिकट पक्का मानकर ये दावेदार प्रचार में काफी धन भी खर्च कर चुके हैं, लेकिन आखिर में भाजपा ने पूर्व चेयरमैन और भाजपा नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव की पत्नी शशि श्रीवास्तव को ही अपना प्रत्याशी बनाया है.
क्या सांसद का टिकट दिलाने में योगदान
माना जा रहा है कि शशि श्रीवास्तव को टिकट दिलाने में सांसद उपेंद्र सिंह रावत का सबसे बड़ा योगदान है. वहीं, दूसरी तरफ सपा से नगर पालिका चेयरमैन पद के लिए सुरेंद्र सिंह वर्मा की पत्नी शीला सिंह की उम्मीदवारी भी काफी मजबूत मानी जा रही है. ऐसे में टिकट न मिलने से नाराज बाकी दावेदारों के बगावती सुर कहीं न कहीं भाजपा में भितरघात की वजह बन सकते हैं. पार्टी भी ये जान रही है कि भितरघात का खेल शुरु हो सकता है. इसे रोकना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. इस चुनाव में अब सांसद, मंत्री और विधायकों की साख भी दांव पर लगी हुई है. अगर चुनाव में कोई निर्दलीय मैदान में उतरता है, तो नुकसान भाजपा का होगा.
वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने नगर पंचायत टिकैतनगर में निवर्तमान चेयरमैन जगदीश प्रसाद गुप्ता पर भरोसा जताया है. हैदरगढ़ में पूर्व भाजपा विधायक स्व. सुंदर लाल दीक्षित के पुत्र पंकज दीक्षित की बगावत और पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भी पार्टी ने उनकी बहू निवर्तमान चेयरमैन पूजा दीक्षित को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, रामनगर में निर्दलीय के चुनाव जीतकर भाजपा से राजनीति करने वाले बद्री विशाल त्रिपाठी को भी टिकट मिला है. इसके अलावा नगर पंचायत देवा से त्रिवेणी प्रसाद, फतेहपुर से हेमंत कुमार, दरियाबाद से संजू जायसवाल को टिकट दिया गया है.
वहीं, जैदपुर में भाजपा ने मुस्लिम प्रत्याशी के रुप में रुकय्या बानो को मैदान में उतारा है. रामसनेहीघाट में कुसुमलता वर्मा, सतरिख से जयप्रकाश वर्मा, सुबेहा से मनीराम रावत, सिद्धौर से रमंता रावत, बंकी से शैलकुमारी मौर्य और बेलहरा में कमला देवी को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया है. इन नगर पंचायतों में भी भाजपा के टिकट के लिए कई दावेदार थे. इनकी बगावत भाजपा का सिर दर्द बढ़ा सकता है.