कौशांबी की बेटी सुनीता ने कुवैत में आयोजित एशियन यूथ चैपियनशिप में 3 हजार मीटर की रेस में सिल्वर पदक जीत कर प्रदेश का नाम रौशन किया है. जनपद लौटने पर उनका लोगों ने जगह जगह फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया.
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अली मुक्तेदा/कौशांबी: कहते है की अगर हौसला बुलंद हो तो हर मंजिल आसान नजर आती है. मंझनपुर तहसील क्षेत्र के बरई बधवा गांव की रहने वाली सुनीता देवी के साथ भी कुछ ऐसा ही है.उनकी परवरिश बेहद गरीब परिवार में हुई. उनके पिता चुन्नी लाल पहले खेतो में काम करते थे. इसके बाद वह गांव मे ही बांस- बल्ली किराए में देने की छोटी सी दुकान चलाने लगे. पिता के साथ सुनीता भी उनका हाथ बटाती थी. सुनीता शुरू से ही मेहनती लड़की थी. उसने प्राइमरी में आयोजित होने वाली रेस में हमेशा अवल आती थी. लेकिन उसके खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था नही हो पाती थी.
इसी दौरान पता चला की जिला स्टेडियम में एक आयोजन है, जिसमे सेलेक्शन के बाद लखनऊ में पढ़ाई-लिखाई के साथ ही खेल की ट्रेनिग भी दी जाएगी. इसमें सुनीता का चयन हो गया.जिसके बाद सुनीता 2017 से लगातार लखनऊ में रह कर रेस की ट्रेनिंग करने लगी. बीच में अचानक कोविड महामारी के चलते उसको वापस गांव लौटना पड़ा. जहां पर उसकी ट्रेनिंग रुक गयी. घर के हालात भी ठीक नहीं थे, लेकिन सुनीता के हौसले बुलंद थे. उसने जिला स्टेडियम मंझनपुर पहुच कर ट्रेनिंग शुरू की. क्रीड़ा अधिकारी रुस्तम खां ने रेस की बारीकियां बताई. इसके बाद सुनीता के कदम नहीं रुके. उसने पहले भोपाल में गोल्ड पदक जीता. इसके बाद उसने कुवैत में सिल्वर पदक जीता कर देश, प्रदेश और जनपद का नाम रौशन कर दिया.
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डीएम और एसपी देंगे आर्थिक सहयोग
भोपाल में गोल्ड जितने पर उसका सेलेक्शन कुवैत में आयोजित होने वाली एशियन यूथ चैंपियनशिप में हो गया था. उस समय भी बिटिया के हौसले को उड़ान देने के लिए ओलंपिक संघ के अध्यक्ष अरुण केशरवानी और जिला क्रीड़ा अधिकारी रुस्तस्मा खा ने सुनीता का सहयोग किया था. उन्होंने अपनी तरफ से कुवैत का टिकट कराया, इतना ही नहीं उन्होंने प्रयास कर अन्य कई लोगों से सहयोग राशि दिलाई. इसी कड़ी में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने भी 51-51 हजार की सहयोग राशि देने की घोषण किया.