Navratri 2022: 'श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनाम स्त्रोत' के 41वें खंड में देवी पाटलावटी का नाम अनुश्रित है. कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वत्थामा आज भी मां के दर्शन करने यहां आते हैं. पढ़ें खबर-
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गौरव तिवारी/कासगंज:
Navratri 2022: आज से शारदीय नवरात्रि की शुभारंभ हो गया है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे कासगंज स्थित माता के एक मंदिर के बारे में जो अपनी तरीके का विश्व में इकलौता मंदिर है. कहा जाता है कि समूचे विश्व में सिर्फ एक पटियाली में ही माता पटलावती देवी का मंदिर स्थापित है. मान्यता है कि द्वापर युग में माता पाटला देवी अखंड पांचाल प्रदेश के राजा द्रुपद की भी कुलदेवी रही थीं. कासगंज के कस्बा पटियाली में गुरु द्रोणाचार्य ने भी माता पाटलावती देवी मंदिर में घोर साधना की थी.
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दुर्गा अष्टोत्तर में अनुश्रित है मां का नाम
'श्री दुर्गाष्टोत्तरशतनाम स्त्रोत' के अनुसार, माता देवी दुर्गा भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती जी का ही स्वरूप हैं. श्री दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम में कहा गया है कि माता देवी दुर्गा के 108 स्वरूपों में पहले खंड पर सती, दूसरे खंड पर साध्वी, तीसरे पर भवप्रीता... इसी प्रकार 41वें खंड में माता देवी पाटलावटी का नाम अनुश्रित है. देवी के इस नाम का अर्थ है गुलाब के फूल या लाल परिधान... या फूल धारण करने वाली देवी.
मां को चढ़ाए जाते हैं लाल वस्त्र और फूल
मंदिर के महंत श्री रघुवर दास का कहना है कि माता पाटलावती देवी के मंदिर में लाल गुलाब के फूल, लाल वस्त्र अर्पित करने का विधान है. ऐसा करने से मां पाटलावटी देवी प्रसन्न होती हैं.
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गुरु द्रोणाचार्य ने की थी मंदिर की स्थापना
कासगंज से 40 किमी स्थित भगवती पाटला देवी मंदिर की कहानी खास है. कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वत्थामा आज भी यहां आते हैं और मां के दर्शन करते हैं. वहीं, मान्यता है कि इस मंदिर के गुरु द्रोणाचार्य ने स्थापित किया था. कहा जाता है कि मां पाटलावती देवी का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है.
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