प्रदेश में 1 अप्रैल से स्कूल चलो अभियान चलाया जा रहा है. इसका उद्देश्य है बच्चों का स्कूल में दाखिला बढ़े और बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आए. सीएम योगी के इस अभियान का कुशीनगर में कितना असर हुआ आइए जानते हैं.
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प्रमोद कुमार/कुशीनगर : उत्तर प्रदेश का अति पिछड़ा जिला और सीएम योगी के गृह जनपद से सटा कुशीनगर जिला वैसे तो बुद्ध स्थली के नाम से मशहूर है. ऐसे में यहां शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो इसको लेकर तमाम प्रयास भी हुए. इसी कड़ी में सीएम योगी का स्कूल चलो अभियान एक अप्रैल से शुरू होते ही नये सत्र में सरकारी स्कूलों में पहली बार बच्चों के हाथों में नई किताब पहुंचीं हैं. जिले में लगभग 95 फीसदी पाठ्य पुस्तकें पहुंच गई हैं. वहीं कॉपी की खेप आनी शुरू हो गयी हैं. तीन राउंड में जिले में किताबें पहुंचीं हैं.
कुशीनगर जिले में बेसिक शिक्षा विभाग से जिले में 2464 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं. इन स्कूलों में 3.21 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इसके अलावा एडेड, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, मदरसा, संस्कृत बोर्ड व समाज कल्याण विभाग से संचालित स्कूलों के बच्चों को सरकार नि:शुल्क किताब मुहैया कराती है.
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हर साल किताबों का समय से आपूर्ति नहीं होने की वजह से आधा सत्र समाप्त होने पर किताबें पहुंची थी, लेकिन इस बार योगी सरकार के सख्ती का असर यह रहा कि किताबें नये सत्र शुरू होने के तीन माह पहले से जिले में पहुंचनी शुरु हो गईं. पहले राउंड की पाठ्य पुस्तकें कक्षा चार से आठ तक दो जनवरी से जनपद में आनी शुरू हुईं. दूसरे राउंड की पाठ्य पुस्तकें कक्षा तीन की मार्च में आनी शुरू हुई है. तीसरे राउंड में कक्षा एक व दो की पाठ्य पुस्तकें अप्रैल में पहुंची है.एक अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ किया था. इसके तहत स्कूल छोड़ चुके बच्चों को स्कूलों से जोड़ने का अभियान प्रारंभ किया जाना है.
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