भ्रष्टाचार का भूत ऐसा सवार हुआ कि कुलपति महोदय ने परीक्षा के पेपर की प्रिंटिंग जिस कंपनी में होनी चाहिए थी, उसकी जगह अपनी प्रिटिंग प्रेस को ही यह काम सौंप दिया. अब यूपीएसटीएफ ने शिकंजा कसा तो कई चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. पढ़ें क्या है पूरा मामला.
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लखनऊ: कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय पाठक (Kanpur University Vinay Pathak) और उसके गुर्गे अजय मिश्रा की कारगुजारियो की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. यूनिवर्सिटी के पेपर छापने का ठेका जिस कंपनी को दिया गया था, वहां उनकी प्रिटिंग नहीं हो रही थी. बल्कि पेपर उसके गुर्गे अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस में छप रहे थे. अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस में 12 घंटे तक चली छापेमारी में यूपीएसटीएफ को अहम सबूत मिले हैं. यहां एसटीएफ को कई विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्र प्रश्न पत्र मिले हैं. पेपर प्रिंटिंग का ठेका हरियाणा की कंपनी सॉलिटेयर प्रिंटो टेक Solitaire Printo Tech को मिला था. लेकिन अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस XLICT के अंदर कानपुर विश्वविद्यालय के अलावा 10 अन्य विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्र मिलने से सनसनी फैल गई. अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस इंदिरा नगर थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव में स्थित है.
कंप्यूटर खोलेगा राज
एसटीएफ प्रिंटिंग प्रेस में लगे कंप्यूटर को जब्त कर लिया है. इसकी फॉरेंसिक जांच कराई जा सकती है. यूपीएसटीएफ द्वारा शिकंजा कसे जाने से अजय मिश्रा के साथ-साथ विनय पाठक की मुश्किलें बढ़ना तय है. एसटीएफ बरामद दस्तावेजों की जांच के बाद मामले से जुड़े तथ्य व सुबूत कोर्ट में प्रस्तुत करेगी.
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फर्जी बिल के नाम पर भूगतान
इससे पहले यूपीएसटीएफ ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के कमीशन की रकम को मैनेज करने वाले अजय जैन को गिरफ्तार किया था. अजय जैन की फर्म के खाते में ही गिरफ्तार अजय मिश्रा ने विनय पाठक के कमीशन की रकम को ट्रांसफर करवाया था. अजय जैन पर फर्जी बिलिंग और फंड ट्रांसफर का आरोप लगा था.