Uttarakhand News: केंद्र और राज्य सरकार नदियों को बचाने के लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड के पैढ़ा गढ़वाल में अलकनंदा नदी सूखने की कगार पर है. इसे लेकर लोगों में रोष है.
Trending Photos
कमल किशोर पिमौली/पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड में जोशीमठ संकट के बाद अब नई आफत आती दिखाई दे रही है. केंद्र और राज्य सरकार नदियों को बचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन सरकार की कोशिश रंग लाती नजर नहीं आ रही है. ताजा मामला अलकनंदा नदी से जुड़ा है जो सूखने की कगार पर पहुंच गई है. बताया जा रहा है कि यहां पर नदी नाले में तब्दील हो गई है.
स्थानीय लोगों में आक्रोश
श्रीनगर गढ़वाल में अलकनंदा नदी खत्म होने के मुहाने पर है, इससे यहां के लोगों में आक्रोश है. बताया जा रहा है यहां जीवीके जल विद्युत परियोजना द्वारा पानी रोका गया है, जिससे अलकनंदा नदी 4 किमी के दायरे में पूरी तरह सूख चुकी है. गंगा आरती समिति के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उतर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को जीवीके कंपनी के खिलाफ शिकायत भेजी है. साथ ही समिति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) से भी कंप्लेंट की है. लोगों की मांग है कि अलकनंदा हाइड्रो प्रोजेक्ट द्वारा अलकनंदा नदी की अविरल धारा इस इलाके में छोड़ी जानी चाहिए.
गंगा आरती समिति ने उठाई आवाज
श्रीनगर में गंगा आरती समिति ने मीडिया से बात की, उनका कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने श्रीनगर में तीन करोड़ की लागत से शारदा स्नान घाट का निर्माण करवाया. नदी में पानी न होने की वजह से लोग घाट का निर्माण व्यर्थ जा रहा है. हालत यह है कि यहां पर न तो लोग नदी में स्नान कर पा रहे हैं और न ही घाट पर गंगा आरती हो पा रही है. इसलिए उन्होंने नदी में एक अविरल धारा छोड़ने की मांग उठाई है. साथ ही ऐसा न होने पर उन्होंने सरकारों को उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है, उन्होंने कहा कि अगर उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़े तो वे गंगा की अविरल धारा के लिये भूख हड़ताल भी करेंगे.
Uttarakhand tourism 2023: पहाड़ों और प्रकृति की गोद में बिताना चाहते हैं छुट्टियां, तो उत्तराखंड के ये 6 पर्यटन स्थल रहेंगे बेस्ट