Milkipur by election: मिल्कीपुर में इस बार सपा और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर हैं. मिल्कीपुर में जीत का सारा दारोमदार इस बार यहां के जातीय समीकरण पर है जो इस लड़ाई में गेमचेंजर साबित हो सकता है.
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milkipur by election: अयोध्या की मिल्कीपुर सीट बीजेपी और सपा के लिए नाक का सवाल बन गई है. इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट को जीतने के लिए दोनों पार्टियों ने एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया है. समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारकों ने मिल्कीपुर क्षेत्र में पूरी ताकत झोंक दी है.सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की जनसभा के लिए 3 फरवरी की तारीख तय हो गई है. हालांकि स्थान अभी तय नहीं किया गया है. सूत्रों के मुताबिक उनके साथ सपा सांसद डिंपल यादव भी होंगी. अखिलेश सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद का समर्थन करने मिल्कीपुर जाएंगे.
संगम में लगाई डुबकी
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बेटे अर्जुन के साथ प्रयागराज पहुंचे और उन्होंने महाकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई है
अखिलेश ने किया दावा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दावा किया है कि मिल्कीपुर में होने वाले उपचुनावों में सपा जीतने जा रही है. उन्होंने बीजेपी पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया. सपा अखिलेश यादव ने कहा है कि जनता समझ चुकी है कि बीजेपी कभी भी सच नहीं बोलती है. विकास का उसके पास कोई विजन नहीं है.जनता मिल्कीपुर उप चुनाव सहित 2027 के चुनावों में भी उसे करारी शिकस्त देने का इरादा कर चुकी है.
मिल्कीपुर में करीब 3.58 लाख मतदाता
आंकड़ों के मुताबिक मिल्कीपुर में करीब 3.58 लाख वोटर हैं. इनमें दलित और ओबीसी समाज के मतदाता खासा प्रभाव रखते हैं. यहां पासी और पिछड़े वर्ग में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है. मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक संख्या में हैं. ऐसे में सपा पीडीए फॉर्मूले के सहारे दम भर रही है. फॉमूले को तोड़ने की कोशिश भाजपा ने इस बार सपा के इसी फॉमूले को तोड़ने की कोशिश की है. बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान को मैदान में उतार सपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की तो वहीं पार्टी का पूरा फोकस ओबीसी वोट बैंक पर भी है. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पिछड़ों ने सपा को वोट दिया था, जिसके भाजपा फिर से अपने साथ जोड़ने में जुटी है.
मिल्कीपुर का जातीय समीकरण
मिल्कीपुर में पासी बिरादरी के 55 हज़ार मतदाता, 30 हज़ार मुस्लिम , यादव की संख्या 55 हजार, 60 हजार ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य मिलाकर 45 हज़ार और अन्य जातियों में 20 हजार कोरी, 18 हजार चौरसिया, पाल और मौर्य वोटर्स भी शामिल हैं. सवर्ण वोटबैंक बीजेपी के हमेशा साथ रहा है और अब पार्टी ने दलित और पिछड़ों को भी जोड़ना शुरू कर दिया है. पार्टी ने इसके लिए प्रदेश के 6 मंत्रियों को जीत की जिम्मेदारी दी है.