Uttrakhand News: गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को मिला 5 करोड़ साल पुराना चींटी का जीवाश्म मिला है. आइए बताते हैं इससे जुड़ी अहम बातें...
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श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड (Uttrakhand) के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है. ये कामयाबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मिली है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने दुनिया में पहली बार चिंट्टी का 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना जीवाश्म खोज निकाला है. वेज्ञानिकों को ये जीवाश्म राजस्थान के बीकानेर की खदानों से प्राप्त हुआ है. ये जीवाश्म वैज्ञानिकों का लार्वा के रूप में मिला. जानकारी के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी चींटी का इतना पुराना लार्वा किसी वैज्ञानिक के हाथ लगा है. आइए बताते हैं पूरा मामला.
लार्वा का रिसर्च में किया जाएगा इस्तेमाल
आपको बता दें कि वैज्ञानिक को मिले इतने पुराने लार्वा का रिसर्च में इस्तेमाल किया जाएगा. इससे वर्तमान में मिलने वाली चीटियों की प्रजाती के क्रमिक विकास के बारे में डीप स्टडी की जा सकेगी. इससे भविष्य में नई खोज करने में भी वैज्ञानिकों को सफलता मिल सकेगी. दरअसल, शोध के दौरान चींटी का ये लार्वा बीकानेर की भूरा की खदानों में मिला है. जानकारी के मुताबिक इसके अध्ययन के लिए रूस के वैज्ञानिकों की भी सहायता ली गई है.
लार्वा का साइज महज 2 एमएम
दरअसल, इस लार्वा की खासियत ये है कि इसका साइज महज 2 एमएम के बराबर है, जो फ्रेश वाटर यानी साफ पानी में खोजा गया पहला जीवाश्म बताया जा रहा है. इससे पहले कभी भी फ्रेश वाटर में लार्वा नहीं मिले हैं. विश्व भर में भी चिंटी के फोसिल जर्मनी और म्यांमार में मिले है. आपको बता दें कि चींटी के क्रमिक विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला लार्वा पहली बार डिटेक्ट किया गया है.
गढ़वाल केंद्रीय यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने दी जानकारी
इस मामले में वैज्ञानिकों ने बताया कि पाया गया लार्वा इल्मीडी फेमिली का है, जिसकी दो फैमिली ही पृथ्वी पर निवास करती हैं. गढ़वाल केंद्रीय यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. राजेन्द्र राणा ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ये पहली बार हुआ है कि चिंटी का लार्वा मिला हो, जो 5 करोड़ 20 लाख वर्ष पुराना है. उन्होनें बताया कि इसका अध्ययन किया जा रहा है. इसमें ये पता चला है कि मिले जीवाश्म की लंबाई 2 एमएम हैं.
बता दें कि ये जीवाश्म चिट्टी के क्रमिक विकास के चक्र को समझने में मददगार सिद्ध होगा. उन्होंने बताया कि लंबाई की दृष्टि से कोई अंतर अब की चिंटी ओर मिले जीवाश्म के लार्वा में अंतर नहीं है, लेकिन पैरों की बनावट में अंतर देखा गया है. मिले लार्वा के पैर बड़े दिखाई पड़ रहे है, जो रोचक हैं.