उत्तराखंड में स्थित द्वाराहाट को‘स्वर्ग का द्वार’कहा जाता है. यह ऐतिहासिक स्थल हरी-भरी वादियों के बीच छुट्टी बिताने और कट्यूरी राजाओं द्वारा बनाए मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है.
द्वाराहाट से14 किमी दूर स्थित दूनागिरी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है. मान्यता है कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे, तब इसका एक टुकड़ा यहां गिरा और इसे ‘दूनागिरी’ कहा जाने लगा.
800-1100 ई. के बीच कट्यूरी राजाओं द्वारा निर्मित लखनपुर मंदिर द्वाराहाट से 25 किमी दूर जौरासी-चौखुटिया मार्ग पर स्थित है। कट्यूरी राजा यहां से अपने राज्य पर नजर रखते थे.
हिमालय की सबसे आध्यात्मिक गुफाओं में से एक महावतार बाबाजी गुफा वह स्थान है, जहां लाहिड़ी महाशय को सीधे महावतार बाबाजी से क्रिया योग की दीक्षा मिली थी.
द्वाराहाट में अत्यधिक पर्यटक न आने के कारण ज्यादा होटल नहीं हैं. यहां कुछ बजट होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं. ठहरने के लिए 33 किमी दूर रानीखेत अच्छी जगह है.
यहां मिले पुरातात्विक सिक्कों के अनुसार 500 ईसा पूर्व से 600 ईस्वी तक ‘कुनिंद’ जनजाति का इस क्षेत्र पर शासन था. बाद में गुप्तकाल में यहां कला, स्थापत्य और साहित्य खूब फला-फूला
निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर (112 किमी) है, जहां से टैक्सी और बसें मिलती हैं, सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम (88 किमी) है, जहां से दिल्ली, लखनऊ और कोलकाता के लिए ट्रेनें चलती हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.