उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है, जहां कहते है कि परियों ने अपना देश बसा रखा है. ऐसे में शायद आपको वहां परियां देखने को मिल जाए.
इस इस रहस्यमयी हिल स्टेशन पर लोग परियों की पसंद-नापसंद के हिसाब से ही रहते हैं. इसकी कहानी आपको यहां आने के लिए मजबूर कर सकती है.
परियों का होना और दिखाई देना कितना सच है, इसकी पुष्टि अब तक नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय लोगों के किस्सों-कहानियों और रहन-सहन में इसका जिक्र है.
उत्तराखंड के 'खैट पर्वत' को परियों का देश कहा जाता है. ये हिल स्टेशन गढ़वाल जिले में समुद्र तल से करीब 10000 फीट की ऊंचाई पर है. ये किसी जन्नत से कम नहीं लगता.
खैट पर्वत जाने के लिए ऋषिकेश से सड़क मार्ग के जरिए गढ़वाल के फेगुलीपट्टी के थात गांव तक किसी सवारी से पहुंच सकते हैं. बस-टैक्सी या खुद की गाड़ी से जा सकते हैं.
थात गांव के पास ही गुम्बदाकार पर्वत है, जिसे खैट पर्वत कहते हैं. कहते हैं खैट पर्वत पर अचानक ही परियां नजर आती हैं. वो आसपास के गांवों की रक्षा करती हैं.
कुछ लोग इन परियों को योगनियां और वनदेवियां भी मानते हैं. खैटखाल मंदिर को भी रहस्यमयी माना जाता है. कहते हैं कि इसमें परियों की पूजा होती है और जून में मेला लगता है.
स्थानीय लोगों की मानें तो परियों को चटकीला रंग, तेज संगीत और शोर-शराबा पसंद नहीं है. जिसकी वजह से यहां इन चीजों की मनाही है. पर्यटकों को भी संगीत न बजाने की हिदायत दी जाती है.
घूमने के लिहाज से ये जगह जन्नत से कम नहीं है. खैट पर्वत पर अखरोट और लहसुन की खेती भी होती है. यहां कैंपिंग भी कर सकते हैं, लेकिन 7 बजे के बाद कैंप से बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इस खबर की एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.