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Virginity Test: दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में साफ किया है कि हिरासत में ली गई या किसी महिला आरोपी का वर्जिनिटी टेस्ट कराना असंवैधानिक है. ये संविधान के अर्टिकल 21 के तहत मिले गरिमा के साथ जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा है कि किसी महिला के खिलाफ लगे आरोपो की तह तक जाने के लिए उसका वर्जनिटी टेस्ट कराना न केवल उसके आतमसम्मान के खिलाफ है, बल्कि ये महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर भी डालता है. मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले इस टेस्ट की जांच के नाम पर इजाज़त नहीं दी जा सकती.
'हिरासत में भी जीने का अधिकार खत्म नहीं होता'
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने इस दलील को खारिज कर दिया कि इस टेस्ट को किसी यौन शोषण की शिकार महिला पर कराना या फिर किसी अपराध में आरोपी महिला पर कराना अलग अलग बात होगी. फैसले में उन्होंने कहा कि कुछ मौलिक अधिकारों को हिरासत में रहने के बावजूद निलंबित या खत्म नहीं किया जा सकता. आर्टिकल 21 के तहत गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी इसी में शामिल है. इसलिए महिला आरोपी या पीड़ित , उसके वर्जनिटी टेस्ट की इजाज़त नहीं दी जा सकती.
कोर्ट के सामने मामला क्या था
हाईकोर्ट ने ये फैसला एक नन सिस्टर सैफी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान दिया.1992 में हुए सिस्टर अभया के मर्डर केस में आरोपी बनाई सैफी का सीबीआई ने वर्जनिटी टेस्ट करवाया था. 2020 में सीबीआई ने इस हत्या के लिए पादरी थॉमस कोट्टूर और नन सैफी को दोषी करार दिया था . ट्रायल कोर्ट का कहना था कि इन दोनों ने सिस्टर अभया का मर्डर इसलिए किया क्योंकि सैफी ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. सैफी के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया गया था और उसके बाद उसे कुएँ में फेंक दिया गया था. सैफी ने साल 2008 में सीबीआई पर आरोप लगाया था कि बिना उनकी अनुमति के सीबीआई ने उनका वर्जनिटी टेस्ट करवाया.
सैफी के वर्जिनिटी टेस्ट को लेकर HC का रुख
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सैफी के वर्जनिटी टेस्ट को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि वो सीबीआई के खिलाफ क़ानूनी राहत के विकल्प आजमा सकती है. हालांकि सीबीआई के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर कोर्ट ने माना कि वर्जनिटी टेस्ट करवाने पर उस वक़्त क़ानून में रोक नहीं थी. मुआवजे की मांग पर कोर्ट ने कहा कि NHRC नए सिरे से इस बारे में सैफी की ओर से दिए गए ज्ञापन पर विचार करेगा.
वर्जनिटी टेस्ट असंवैधानिक ,एजेंसियों को जानकारी दे
कोर्ट ने कहा कि वर्जनिटी टेस्ट को असंवैधानिक घोषित किये जाने की जानकारी गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से सभी जांच एजेंसियों को दी जानी चाहिए. दिल्ली ज्यूडिशियल एकेडमी इसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल करें और जांच अधिकारियों, सरकारी वकीलों की वर्कशॉप में उन्हें इस बारे में जानकारी दी जाए.
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