What is Agniveer Scheme: अग्निवीर योजना 2 साल पहले देश की तीनों सेनाओं में शुरू हुई थी. इसके बावजूद उस पर सवाल उठने आज तक बंद नहीं हुए हैं. अब सरकार उसकी समीक्षा करने जा रही है.
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Disadvantages of Agniveer Scheme: तीनों सेनाओं में क्रांतिकारी सुधार के रूप में शुरू की गई अग्निवीर योजना को 2 साल पूरे होने जा रहे हैं. इसके बावजूद इस योजना पर सवाल उठने बंद नहीं हुए है. अब चूंकि मोदी सरकार सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर है और वे लगातार इस स्कीम पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में सरकार ने इस योजना की समीक्षा करने के लिए अधिकारियों की हाई पावर कमेटी का गठन कर दिया है. यह कमेटी योजना के सभी पहलुओं पर चर्चा कर इसमें सुधार के बिंदु तैयार कर सरकार के सामने पेश करेगी, जिसके बाद इस योजना को और आकर्षक बनाने का फैसला लिया जा सकता है. आज हम आपको उन सवालों पर बताने जा रहे हैं, जो रह-रहकर इस योजना पर उठते रहे हैं और जिसके चलते यह योजना अभी भी विवादों में बनी हुई है.
कम सेवा अवधि
अग्निवीर स्कीम में सबसे बड़ी शिकायत इसकी कम सेवा अवधि को लेकर है. आर्मी का रेग्युलर जवान जहां न्यूनतम 15 साल सेवा करता है. वहीं अग्निवीर सैनिक महज 4 साल की सेवा के बाद ही सेना से रिटायर हो जाएगा. सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवा इस अवधि को लगातार बढ़ाने की मांग करते रहे हैं. अब उसी सवाल को सहयोगी दलों ने भी उठाया है.
नहीं मिलेगी पेंशन
सेना के नियमित सैनिकों को रिटायर होने के बाद मरने तक रेग्युलर पेंशन मिलती है, जबकि 4 साल की सेवा के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों के लिए यह सुविधा नहीं है. हालांकि 4 साल की सेवा के बाद उनमें से छांटे गए जिन 25 प्रतिशत सैनिकों को रेग्युलर सैनिक बनने का मौका मिलेगा, उन्हें पेंशन मिलेगी. लेकिन बाकी 75 प्रतिशत अग्निवीर इससे वंचित ही रहेंगे.
शहीद होने पर
अग्निवीर और नियमित सैनिकों की शहादत होने पर परिजनों को मिलने वाली धनराशि में भी अंतर रखा गया है. नियमित सैनिक का जहां 50 लाख रुपये का बीमा होता है और करीब इतनी ही धनराशि सरकार से पाने का हकदार होता है. वहीं अग्निवीर का परिवार बस 48 लाख रुपये की गैर-अंशदायी बीमा राशि ही पा सकता है.
रिटायरमेंट के बाद क्या?
सेना में 4 साल की सेवा के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों को केंद्रीय सुरक्षाबलों में एडजस्ट करने के लिए उनमें निकलने वाली 10 फीसदी रिक्तियां अग्निवीरों के लिए रिजर्व की गई हैं. लेकिन इस रिजर्वेशन के बावजूद सेना से रिटायर होने वाले अग्निवीरों को दोबारा नौकरी मिल ही पाएगी, इसके बारे में कोई भी निश्चित नहीं है. यही वजह है कि योजना पर विरोध है.
राष्ट्रीय भावना में कमी
एक्सपर्टों के मुताबिक अधिकतर युवा सेना में इसलिए भर्ती होते रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें सुनिश्चित करियर और देश की सीधी सेवा करने का मौका मिलता था. लेकिन अग्निवीर के बाद ये दोनों ही बातें खत्म हो गई. अब न राष्ट्रीय सेवा की भावना है और न करियर की चाह. इसका असर अग्निवीर में भर्ती होने वाले युवाओं के मोरल पर भी नजर आता है, जिसे देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती माना जा रहा है.
क्यों शुरू हुई थी योजना?
देश के सामने चीन और पाकिस्तान का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन अपनी सेनाओं का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है. ऐसे में भारत के सामने भी देश की तीनों सेनाओं को नए हथियारों से चाक-चौबंद करने की बहुत जरूरत है. लेकिन डिफेंस के लिए जितना बजट अलॉट होता है, उसमें से बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन पर चला जाता है. ऐसे में सेना के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त बजट नहीं बच पाता.
इसी समस्या को देखते हुए सरकार ने लंबे विचार-विमर्श के बाद रिस्क लेकर 2022 में अग्निवीर योजना शुरू की, जिससे सरकार पेंशन के खर्चे से बच जाए. सरकार अभी तक कह रही थी कि वह इस योजना पर अटल है और बदलाव नहीं करेगी. लेकिन लोकसभा चुनाव में लगे झटके और उसके बाद सरकार को समर्थन दे रहे सहयोगी दलों के बयानों ने उसे इस योजना पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है.