तेजी से बदलती जीवनशैली में कोई भी एंजाइटी का शिकार हो जाता है. किसी को यह काफी हल्की होती है तो उन्हें पता ही नहीं लगता है. लेकिन किसी-किसी को ये कई दिनों, कई महीनों और कई साल तक भी रह सकती है.
'क्या आपको भी हाई एंजाइटी की चिंता है? दरअसल एक विदेशी मनोचिकित्सक ने उन 8 अहम संकेतों का खुलासा किया है जिनके बारे में आप समय रहते सचेत होकर खुद को किसी भी तरह के मानसिक तनाव, डिप्रेशन या एंजायटी का शिकार होने से बच सकते हैं.
'डेली मेल' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक बर्मिंघम में प्रेक्टिस करने वाली डॉ ललिता सुगलानी एक मनोवैज्ञानिक हैं जो मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ जैसे जरूरी विषयों के बारे में ऑनलाइन कंटेट बनाकर उसे अपने Instagram अकाउंट पर साझा करती हैं. अपनी हालिया पोस्ट में उन्होंने एंजाइटी के आठ लक्षण बताते हुए इस बीमारी से सचेत रहने के संकेत दिए हैं.
आमतौर पर हाई एंजाइटी का शिकार उस व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा जाता है जो अपने डेली रुटीन को अच्छी तरह से मैनेज करने के बावजूद लगातार किसी न किसी चिंता में घुलता रहता है. मनोवैज्ञानिक ने अपनी पोस्ट में आगे ये भी कहा, 'आम तौर पर, हाई एंजाइटी से पीड़ित व्यक्ति बाहर से तो किसी ऑलराउंडर की तरह एकदम परफेक्ट दिख सकता है, भले ही वो किसी चिंता या तनाव की वजह से परेशान हो.'
एंजाइटी से परेशान शख्स जरूरत से ज्यादा सोंचने वाला हो सकता है. वहीं वह बेसलेस फियर यानी व्यर्थ यानी फिजूल के डर से ग्रसित हो सकता है. डॉ ललिता के मुताबिक, 'हाई एंजाइटी यानी ज्यादा चिंता करने वाले या फिर जुनूनी लोग अक्सर कार्यों को पूरा करने में सक्षम होते हैं और सामाजिक परिस्थितियों में अच्छी तरह से तालमेल बिठाकर चलते हुए दिखाई देते हैं. जबकि वह उस समय भी 'चिंता-विकार के सभी समान लक्षणों को महसूस कर रहे होते हैं'
डॉ ललिता ने हाई-वर्किंग एंजाइटी के जिन 8 लक्षणों का खुलासा किया है उनमें से पहला लक्षण दूसरों को खुश करने की अनावश्यक चिंता और दूसरों को ना कहने में कठिनाई होना है. दूसरे लक्षण की बात करें तो किसी गलती करने के बाद खुद भर भरोसा कमजोर होने या खुद को शक की नजर से देखने यानी असफलता का डर महसूस करने से भी इंसान एंजाइटी का शिकार बन सकता है.
एंजाइटी का तीसरा सबसे बड़ा लक्षण अनिद्रा और थकान होते हैं. वहीं इसकी चौथी बड़ी वजह किसी भी वजह से आपके डेली रुटीन यानी दिनचर्या बाधित होने की वजह से बहुत परेशान होना भी एंजायटी का एक लक्षण माना जाता है. पांचवा लक्षण ये है कि आप दूसरों को भले ही अपनी परेशानी का पता न चलने दें यानी अपने दिल की बात किसी से न कहें यानी अंगर अंदर ही अंदर आप अत्यधिक चिंता के वजह से खुद से ही आंतरिक रूप से संघर्ष करते हैं तब आप एंजाइटी का शिकार बन जाते हैं.
एंजाइटी का छठा लक्षण आपका लगातार सोचना या फिर चीजों का गैरजरूरी विश्लेषण करना होता है. एंजाइटी की चपेट में आने का 7वां लक्षण ये बताया गया है कि अगर आप अनावश्यक चिंता तो करते हैं लेकिन अपनी किसी समस्या से बाहर आने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं कर रहे होते हैं, तब आप एंजाइटी की चपेट में आ जाते हैं. यानी जो लोग अधिक चिंता का अनुभव करते हैं, उनके मस्तिष्क की संरचना या प्रणालियों में कुछ हद तक अंतर हो सकता है जिसके कारण फ्री फ्लोटिंग एंग्जायटी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है. सेरोटोनिन नामक हार्मोन फ्री फ्लोटिंग एंजाइटी की भावनाओं को बढ़ाने के लिए कारगर होती है.
एंजाइटी का 8वां सामान्य लक्षण जिसे बहुत से लोग नजरअंदाज कर देते हैं वो आपके मन में बैठा असफलता का भयानक डर है. जिसकी वजह से आप जाने अनजाने खुद पर पर्फेक्ट होने का बोझ लाद लेते हैं और पिछली गलतियों पर लगातार ध्यान देने लगते हैं.
एंजाइटी की इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. हालांकि इस लेख में बताए गए लक्षणों की गंभीरता को कम नहीं आंकना चाहिए. यदि एंजाइटी (Anxiety) के किसी एक भी लक्षण से आपके परिवार का कोई व्यक्ति या आप खुद इससे पीड़ित है तो सबसे पहले आप किसी अच्छे चिकित्सक, मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक की मदद लें. एंजाइटी (Anxiety) का इलाज दवाओं और काउंसलिंग दोनों के मिले-जुले इस्तेमाल से किया जा सकता है. सही इलाज से एक न एक दिन ये एंजाइटी (Anxiety) आपसे जरूर दूर हो सकती है.
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