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भारत का ये किला तोड़ने में मुगलों के छूट गए थे पसीने, गोला-बारूद भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सका

Lohagarh Fort: ऐतिहासिक जगहों के लिए विख्यात भारत में कई भव्य जगहें मौजूद हैं, जो दुनिया में भारत को गौरवान्वित करता है. आज हम आपको भारत में मौजूद एक ऐसे किले के बारे में बताने जा रहें हैं, जिसके सामने मुगलों और अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़ गए. 

 

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भारत के राजस्थान में स्थित यह इस किले को ‘लोहागढ़ ​किला’ के नाम से जाना जाता है. इसे भारत का एकमात्र अजेय दुर्ग कहा जाता है. कहा जाता है कि इस किले को कोई जीत नहीं सका. इसे किले के सामने मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक हार मान गए.  

 

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राजस्थान में स्थित लौहगढ़ किले का निर्माण 19 फरवरी 1733 को महाराजा सूरजमल ने करवाया था. इस विशाल किले के निर्माण में लगभग 8 साल का समय लग था. साथ इस किले को बनवाने में एक खास मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया. जो इसे गोले-बारूद से बचाता था. 

 

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इस किले पर 13 से ज्यादा बार हमला हुआ लेकिन कोई भी इसे जीत नहीं सका. इस किले को बनाने में चिकनी मिट्टी, चूना, भूसा और गोबर का इस्तेमाल किया गया. जब दुश्मन गोला फेंकते थे तो गोले दीवारों में फंस जाते थे. 

 

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इस किले के चारों तरफ 60 फुट गहरी 100 फीट चौड़ी खाई का निर्माण किया गया. खाई में नहर द्वारा पानी भरने की व्यवस्था बनाई गई. साथ ही इसमें मगरमच्छ छोड़े गए. जिससे दुश्मन इसे पार नहीं कर सकें. 

 

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लोहागढ़ किला तीन भाग में मौजूद हैं, जिसे महल खास, कमरा महल और बदन सिंह महल के नाम से जाना जाता है. इस किले के अंदर एक म्यूजियम भी मौजूद है. यहां प्राचीन शिव की नटराज मूर्ति और शिवलिंग भी मौजूद है.

 

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