2001 के बाद संसद की सुरक्षा को चाक चौबंद किया गया था. नई संसद में इसे और बेहतर बनाया गया है. लेकिन इसके बाद भी दो लोगों का संसद के अंदर घुसना, संसद को धुआं धुआं करना...बेहद गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का मामला है. आज यानी 13 दिसंबर को नए संसद भवन के अंदर और बाहर जो हुआ, उसने 22 साल पहले की डरावनी यादों को फिर से ताजा कर दिया. आज के जैसी ही अफरातफरी तब संसद भवन के अंदर और बाहर मची थी। वो 13 दिसंबर 2001 का दिन था, जब लश्कर और जैश ए मोहम्मद के 5 आतंकियों ने पुराने संसद भवन पर आतंकी हमला किया था।