Bath Soap Fact: क्या आपने कभी सोचा है कि साबुन का अविष्कार किसने किया है?
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Bath Soap Fact: क्या आपने कभी सोचा है कि साबुन का अविष्कार किसने किया है?

Bath Detergent Soap History: मुर्गी पहले आई या अंडा ये सवाल तो लोग आपसे अक्‍सर पूछते होंगे, आज हम आपसे कुछ नया सवाल पूछते हैं. नहाने का साबुन पहले आया या कपड़े धोने का, बताइए?  नहीं पता तो चलिए हम आपको बताते हैं.  

Bath Soap Fact: क्या आपने कभी सोचा है कि साबुन का अविष्कार किसने किया है?

Interesting Facts About Bathing Soap: बचपन से साबुन का इस्‍तेमाल करते आ रहे हैं, लेकिन कभी सोचा है कि साबुन का अविष्‍कार किसने किया. ये किस जमाने से उपयोग में लाया जा रहा है. इसे कहां पहली बार उपयोग किया था. इतिहासकार बताते हैं कि लगभग 5 हजार साल पहले बेबीलोन की सभ्‍यता में साबुन का यूज होता था. बेबीलोन का पुराना नाम बाबिल हुआ करता था, जो वर्तमान में बगदाद के पास है. यहां खुदाई में साबुन मिले थे. साबुन का अविष्‍कार किसने किया, ये बात आज तक कोई पता नहीं लगा पाया. किसी जमाने में साबुन पर लग्जरी टैक्‍स लगया जाता था. आपको जानकर आश्‍चर्य होगा स्‍वतंत्रता आंदोलन के समय में रवींद्रनाथ टैगोर ने साबुन का प्रचार किया था. आइए जानते हैं साबुन के बारे में रौचक तथ्‍य.      

धुलाई में होता था इस्‍तेमाल?

बगदाद के अलावा प्राचीन मिस्र में भी साबुन उपयोग करने के साक्ष्‍य मिलते हैं. लगभग 2500 साल पहले 'The Ebers Papyrus' नाम के मेडिकल दस्तावेज में इसका जिक्र है. इसके मुताबिक मिस्र यानी इजिप्ट में साबुन का इस्तेमाल धुलाई के लिए हुआ करता था. इसके अलावा साबुन का उपयोग त्वचा रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता था. उस समय साबुन को बनाने के लिए एनिमल फैट का उपयोग किया जाता था. 

महामारी में साबुन का इस्‍तेमाल हुआ बंद 

कोविड फैलने के दौरान कई अफवाह फैली जैसे मांस या अंडे से भी कोविड फैल सकता है. ठीक उसी तरह प्‍लेग बीमारी फैली तब भी ऐसी ही अफवाह फैली थी. बात 1350 की है, उस समय पूरी दुनिया में खासकर यूरोप में बूबोनिक प्‍लेग नाम की बीमारी अपना पैर पसार रही थी. आपको जान कर हैरानी होगी उस समय लोग साबुन से नहाने में डरते थे. लोगों को लगता था कि ये बीमारी पानी और साबुन से फैलती है. प्लेग फैला तो कई लोगों ने साबुन से नहाना तक छोड़ दिया. 

साबुन पर लगता था लग्जरी टैक्स

19वीं सदी के समय में साबुन लग्जरी आइटम माना जाता था. उस समय दुनिया के कई देशों में साबुन पर भारी भरकम टैक्स चुकाना होता था. वर्ल्‍ड वॉर के दौरान एनिमल और वेजिटेबल फैट से बनने वाले साबुनों की कमी पड़ने लगी. उसी दौरान साबुन बनाने वाली कंपनियों ने कच्‍चे माल के तौर पर सिंथेटिक मैटीरियल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. 

रवींद्रनाथ टैगोर ने साबुन का किया प्रचार

गोदरेज कंपनी के मालिक आर्देशिर गोदरेज पेशे से वकील थे, लेकिन बाद में उन्‍होंने बिजनेस स्‍टार्ट किया. 1895 में उन्‍होंने सर्जिकल उपकरण बनाना शुरू किए. लेकिन कोई कस्‍टमर उस समय उनके प्रोडक्‍ट इसलिए नहीं खरीदता था क्‍योंकि उस पर मेड इन इंडिया लिखा होता था फिर बाद में उन्‍होंने ये धंधा बंद कर दिया. उसी समय उन्‍होंने महसूस किया कि साबुन बनाने में एनिमल फैट का उपयोग किया जा रहा है. फिर क्‍या था, 1919 में उन्‍होंने दुनिया का पहला वनस्‍पति तेल बनाया. उस समय इसका नाम छवि रखा गया था. आपको जान कर हैरानी होगी कि गोदरेज साबुन का एडवर्टाइज रवींद्रनाथ टैगोर ने किया था. महात्‍मा गांधी, स्वतंत्रता सेनानी डॉ. एनी बेसेंट, गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भी इसे खूब सपोर्ट किया.        

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