Pakistan News: रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का संविधान जबरन धर्मांतरण के मामलों में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है लेकिन आपराधिक न्याय प्रणाली और इसकी प्रथाएं पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय की तलाश करना और प्राप्त करना असंभव बना देती हैं.
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Religious Minorities in Pakistan: ‘लोकतांत्रिक’ पाकिस्तान में युवा लड़कियों का अपहरण करने, उनका बलात्कार करने और उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करने की बर्बर प्रथा एक आम प्रथा बन गई है, जहां राज्य हस्तक्षेप करने से इनकार करता है. जस्ट अर्थ न्यूज (JEN) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक JEN दुनिया के विभिन्न हिस्सों के पत्रकारों के एक समूह द्वारा चलाया जाने वाला एक मानवीय समाचार पोर्टल है. यह भू-राजनीति, शासन और स्वास्थ्य, पर्यावरण, मानवाधिकार, विकास, महिला और लिंग, अर्थव्यवस्था आदि के पहलुओं पर केंद्रित है. उनका उद्देश्य उन मुद्दों को उजागर करना है जो जीवन और आजीविका से संबंधित हैं.
हालांकि संविधान-अनुच्छेद 20- प्रत्येक नागरिक, को धर्म को मानने, अभ्यास करने और धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है. लेकिन इसके बावजूद JEN के मुताबिक ईसाई और हिंदू युवा लड़कियां और महिलाएं राज्य और उच्च न्यायालय के जजों सहित विभिन्न एजेंसियों दायरे से बाहर रहती हैं.
मीडिया, नागरिक समाज करता है अनदेखी
JEN के अनुसार, मीडिया, नागरिक समाज, और यहां तक कि अधिकांश मानवाधिकार समूह भी इस घृणित अपराध को अनदेखा कर देते हैं क्योंकि युवा लड़कियां अक्सर गरीब, अल्पसंख्यक परिवारों से होती हैं.
JEN ने बताया कि 2022 में फैसलाबाद में एक 15 वर्षीय ईसाई लड़की को एक शिकारी मुस्लिम व्यक्ति रात के समय उठा ले गया, कोई शोर-शराबा नहीं हुआ, कोई संपादन नहीं लिखा गया, कोई विरोध मार्च नहीं हुआ और कोई भी दोषियों के खिलाफ नहीं बोला . माता-पिता रोते हुए पुलिस, अदालतों सह हर उस जगह गए जिनके बारे में उन्हें लगा कि वे अपने बच्चे को बचा लेंगे, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया.
4 अगस्त, 2020 को लाहौर हाई कोर्ट के जज राजा मुहम्मद शाहिद अब्बासी ने एक ईसाई लड़की (जिसका अपहरण, बलात्कार और जबरन धर्मांतरण हुआ) के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारे दादा-दादी या माता-पिता ऐसे समय में शादी के बंधन में बंधे जब कोई शादी प्रमाणपत्र जारी किए जाते थे, लेकिन उनकी शादियों को वैध माना जाता था.’
जज ने अपहरणकर्ता मुहम्मद नकाश तारिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा किलड़की ने स्वेच्छा से इस्लाम कबूल कर लिया है.
जस्ट अर्थ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक आदेश के पांच दिन बाद ही लड़की अपने पति के घर से भागने में सफल रही. जस्ट अर्थ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उसने कहा कि उसे एक तहखाने में कैदी रखा गया था, जहां उसके अपहरणकर्ता ने उसे धर्म परिवर्तन और शादी करने के लिए मजबूर करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया.
ऐसी लड़कियों की संख्या 1000 से ज्यादा
कई सर्वे में हर साल ऐसी लड़कियों की संख्या 1000 से ज्यादा बताई गई है. जस्ट अर्थ न्यूज ने बताया कि वर्ष 2021 में पिछली रिपोर्टों से 80 प्रतिशत और 2020 में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई.
आंकड़ों से पता चलता है कि इन प्रकरणों के साथ मारपीट, अपहरण, जबरन विवाह, बाल विवाह, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वेश्यावृत्ति सहित कई अन्य आपराधिक अपराध शामिल थे. शिकार का खौफ इन परिवारों पर इस कदर हावी हो गया है कि उन्होंने अपनी छोटी-छोटी बच्चियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है.
अधिकांश समस्या राज्य के साथ है जो युवा लड़कियों को ऐसे हिंसक हमलों से बचाने वाले कानूनों को लाने और लागू करने से इनकार करता है.
पाकिस्तान का संविधान जबरन धर्मांतरण के मामलों में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है लेकिन आपराधिक न्याय प्रणाली और इसकी प्रथाएं ऐसी महिलाओं के लिए न्याय की तलाश करना और प्राप्त करना असंभव बना देती हैं.
राज्य ने ऐसे मामलों से मोड़ा मुंह
जस्ट अर्थ न्यूज का कहना है कि राज्य ने ऐसे मामलों से मुंह मोड़ने का फैसला किया है. 2016 और 2019 में पेश किए गए दो विधेयकों को खारिज कर दिया गया. 2020 में भी इसी तरह के कानून की हत्या कर दी गई थी.
पुलिस, न्यायाधीशों, मौलवियों और राजनीतिक नेताओं के समर्थन से मुस्लिम पुरुषों का शिकार होने वाली हजारों युवा महिलाओं के अधिकारों और जीवन की रक्षा करने में पाकिस्तान राज्य की कोई दिलचस्पी नहीं है.
(इनपुट - ANI)