History Of Kaaba: सारी दुनिया के मुसलमान सऊदी अरब के शहर मक्का में मौजूद 'काबा' की तरफ मुंह करके नमाज़ अदा करते हैं. मुसलमानों के लिए यह सबसे मुकद्दस और पवित्र जगह है. आज हम आपको इस्लामिक आस्था के सबसे बड़े केंद्र के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.
सऊदी अरब के शहर मक्का में मौजूद काबा इस्लामिक आस्था के मुताबिक सबसे पवित्र जगह है. सारी दुनिया के मुस्लिम इसी तरफ मुंह करके नमाज अदा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस काबा की तस्वीरें आप अभी देख रहे हैं वो हमेशा से ऐसा ही नहीं था, बल्कि ये कई बार टूटा और कई बार बना है.
हालांकि एक लंबे अरसे से काबा सुरक्षित है और सारी दुनिया के मुसलमानों की आस्था का सबसे बड़े प्रतीक बना हुआ है.
हजरत इब्राहिम के ज़रिए बनाया गया काबा आयताकार था जिसमें छत भी नहीं थी और दोनों तरफ खुले दरवाजे खुलते थे.
बताया जाता है कि इसके निर्माण में पांच पहाड़ों के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. कहा जाता है कि इसकी नींव में आज भी वही पत्थर हैं जो हजरत इब्राहिम ने रखे थे.
मौजूदा काबा के अंदर तीन पिलर हैं. इसके अलावा छत में एक शीशा भी लगा हुआ है जिसके ज़रिए रोशनी अंदर जाती है. काबे के दरवाजे की ऊंचाई भी किसी खास वजह से थोड़ी ऊंची है.
बताया जाता है कि जो काबा इस समय है उसकी तामीर साल 1996 में की गई थी. उस समय काबा के बुनियादें यानी नीव को भी फिर से भरा गया था.
एक जानकारी के मुताबिक मस्जिद अल हरम के बीच में मौजूद काबा कई बार टूटा और कई बार बना. हालांकि इसका कोई नंबर हमारे पास मौजूद नहीं है.
काबा के दक्षिण-पूर्वी कोने पर चांदी से जड़े विभिन्न आकार के लगभग ढाई फीट व्यास के आठ छोटे काले पत्थर लगे हैं. इस्लामी मान्यता के मुताबिक ये पत्थर काबा बनाने के दौरान फरिश्ते हजरत जिब्राइल जन्नत से लेकर आए थे.
कहा जााता है कि हज या फिर उमरे के समय काबा की परिक्रमा भी काले पत्थर से ही शुरू होती है. इस पत्थर को अक्सर अकीदतमंद चूमना पंसद करते हैं. हालांकि ये सभी की ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती.
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