Hoover Dam gravity effect: अमेरिका में नेवादा (Nevada) और एरिजोना (Arizona) राज्य की सीमा पर बना हुआ हूवर डैम अपनी कुछ खासियतों के चलते पूरी दुनिया में मशहूर है. हूवर डैम की बनावट ऐसी है कि यहां चीजों पर ग्रेविटी यानी कि गुरुत्वाकर्षण बल कम नहीं करता है.
Hoover Dam mystery: विज्ञान का सीधा सा नियम है यदि कोई चीज ऊपर से छोड़ी जाए तो वह नीचे की ओर आती है, इसके पीछे पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल काम करता है. लेकिन यह नियम सिर्फ पृथ्वी पर ही काम करता है. जैसे कि आपने देखा होगा कि स्पेस में चीजें तैरती रहती हैं या चंद्रमा, मंगल आदि ग्रहों पर भी गुरुत्वाकर्षण बल नहीं है. लेकिन अमेरिका ने एक ऐसा डैम या बांध बनाया है, जहां ग्रेविटी काम नहीं करती है.
कोलोराडो नदी पर बने हूवर डैम पर ग्रेविटी काम नहीं करती है. यहां किसी भी चीज को ऊपर की ओर उछाला जाए, तो वह डैम की दीवार से टकराकर ऊपर ही तैरती रहती हैं. यूं कहें कि यहां ग्रेविटी ना के बराबर है.
धनुष के आकार में बने इस डैम की बनावट ऐसी है कि यहां ग्रेविटी काम नहीं करती है. साथ ही इस बांध की ऊंचाई भी बहुत ज्यादा है. इस कारण यहां पानी उछालो तो हवा में तैरता रहता है. देखने में ये नजारा किसी चमत्कार या साइंस फिक्शन मूवी की तरह लगता है.
यह बांध बेहद विशालकाय है. हूवर डैम की लंबाई 2334 किलोमीटर है और ऊंचाई 726 फीट है. इतना ही नहीं बांध के बेस की मोटाई 660 फीट है. जो कि फुटबॉल के 2 स्टेडियम्स के बराबर है.
1931 से 1936 के बीच बने इस बांध को बनाने में इंजीनियरों को पसीने छूट गए थे. क्योंकि यहां नदी में जल का प्रवाह इतना तेज था कि स्ट्रक्चर बन ही नहीं पाता.
तब पहाड़ों को काटकर नदी के लिए बगल से एक रास्ता बनाया गया, तब पानी का दवाब कम करके डैम की नींव रखी गई. हूवर बांध का निर्माण 1931 से 1936 के बीच हुआ था. इसका नाम अमेरिका के 31वें राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर के नाम पर रखा गया है.
हूवर डैम दक्षिण-पश्चिम में बड़े पैमाने पर पानी और बिजली की आपूर्ति करता है. यह बांध, कोलोराडो नदी की शक्ति का इस्तेमाल करके लाखों लोगों को पानी और बिजली देता है.
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