Breastfeeding and Baby's Immune System: नवजात बच्चे की सेहत और शारीरिक विकास इस बात पर निर्भर करता है कि आप उसे कैसे डाइट दे रहे हैं. पीडियाट्रिशियन हमेशा इस बात की सलाह देते हैं कि जन्म के बाद से ही बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए क्योंकि ये उसके लिए सर्वोत्तम आहार है, साथ ही ये उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए भी जरूरी है. सीके बिड़ला हॉस्पिटल दिल्ली की लीड कंसल्टेंट (ओब्सट्रेटिक्स एंड गॉयनाक्लोजी) डॉ. तृप्ति रहेजा (Dr. Tripti Raheja) ने बताया कि ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे की इम्यूनिटी कैसे बूस्ट होती है, जिससे वो कई बीमारियों से बच सकता है.
मां के दूध (Breast Milk) में हाई लेवल की एंटीबॉडीज (Antibodies) होती हैं, खासतौर से आईजीए (IgA), जो बच्चे के गले (Throat), फेफड़ों (Lungs) और आंतों (Intestine) में म्यूकस मेंबरेन (Mucus Membranes) की हिफाजत करती है.
मां के दूध में लाइव व्हाइट ब्लड सेल्स (live white blood cells) होते हैं जिससे इम्यून सिस्टम (Immune System) को एक्ट्रा सपोर्ट मिलता है. इसका मतलब ये है कि अगर आप ब्रेस्टीफीडिंग कराएंगी तो बच्चों को बीमारियों का खतरा कम होगा.
मां के दूध में लैक्टोफेरिन (Lactoferrin), लाइसोजाइम (Lysozyme) और ओलिगोसैकेराइड्स (Oligosacharides) जैसे कई तरह के प्रोटीन (Proteins) और एंजाइम (Enzymes) होते हैं जो बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं.
मां के दूध में प्रोबायोटिक प्रोपर्टीज (Probiotic Properties) होती हैं. इसलिए ये बेनिफीशियल बैक्टीरिया (Beneficial Bacteria) की ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं जिससे ओवरऑल इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद मिलती है.
मां के दूध (Breast Milk) में साइटोकिन (Cytokines) जैसे एंटी इंफ्लेमेंट्री फैक्टर्स (Anti inflammatory factor) होते हैं जो सूजन और एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reaction) को कम करते हैं.
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