छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में केशकाल विधानसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम को टिकट दिया था. साल 1994 बैच के आईएएस अफसर रहे नीलकंठ टेकाम ने इसी साल छत्तीसगढ़ भाजपा जॉइन की थी. वह नक्सल प्रभावित बस्तर जिले से आते हैं और दंतेवाड़ा जैसे जिलों में सेवाएं दे चुके हैं.
राजस्थान की सोजत विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य को उतारा था. उनके खिलाफ भाजपा ने शोभा चौहान को टिकट दिया था. निरंजन मुख्य सचिव पद से रिटायर होने के बाद सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार बन गए थे. इस बार भी शोभा चौहान ने कांग्रेस उम्मीदवार को पटकनी देते हुए जीत हासिल की है.
बस्सी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व आईपीएस लक्ष्मण मीणा को और भाजपा ने रिटायर्ड आईएएस चंद्र मोहन मीणा चुनाव मैदान में उतारा था. यह पहला मौका था जब दोनों प्रमुख दलों ने पूर्व आईएएस और आईपीएस को चुनाव अखाड़े में आमने-सामने उतारा है. इस सीट पर 15 साल से निर्दलीय प्रत्याशी विधायक बनते आए हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण ने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रमोहन मीणा को शिकस्ट दी है.
जॉइंट डायरेक्टर पद से रिटायर्ड पितराम काला कांग्रेस के टिकट पर पिलानी विधानसभा सीट से खड़े हुए थे. वह इसी जिले में लंबे समय से पदस्थापित थे. पिलानी राजस्थान के झुनझुनूं संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, जहां से कांग्रेस के पितराम काला ने जीत हासिल की है. राज्य शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक रह चुके पितराम काला ने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया.
ओपी चौधरी ने अपने फर्स्ट अटैम्प्ट में ही यूपीएससी क्रैक किया था और वह 22 साल की उम्र में आईएएस बने. छत्तीसगढ़ में ओपी चौधरी को भारतीय जनता पार्टी ने रायगढ़ विधानसभा सीट से टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की. 2005 बैच के आईएएस रहे ओपी चौधरी ने प्रशासनिक पद त्याग कर राजनीति का अखाड़ा चुना. इन्होंने साल 2018 में इस्तीफा दे दिया था. ओपी चौधरी को लेकर चर्चाएं तेज है कि पार्टी ओपी चौधरी को सीएम पद की कमान सौंप सकती है. बच्चों को एजुकेशन दिलाने में अहम भूमिका निभाई. रायपुर में प्रयास स्कूल में उनका अहम योगदान है. इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
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