Israel Destructive Weapons: इजरायल (Israel) की सेना गाजा पट्टी में घुसकर फाइनल प्रहार की तैयारी में है और उसके इस काम में उसके पांच बड़े महाविनाशकारी हथियार उसकी मदद करने वाले हैं. इनमें से एक है हाइटेक मर्कावा टैंक, जिन्हें आप गाजा की तरफ बढ़ते पहले ही देख चुके हैं. इसके नाम से ही दुश्मन कांपते हैं. दूसरा है हेरॉन और हर्मीस ड्रोन, इन ड्रोन की जद में आकर दुश्मन बच नहीं सकता है. तीसरा हथियार है जेरिको-3 मिसाइल जो बेहद ही सटीक और घातक है. चौथा कावरेट युद्धपोत है. इसे आप चलता फिरता सैनिक दस्ता है. पांचवां जंगी हथियार है F-16s, जिसकी उड़ान से ही दुश्मन कांप जाता है. ये सभी हथियार हमास का खात्म और इजरायल की रक्षा करने में सक्षम है.
सबसे पहले बात इजरायल के मर्कावा टैंक की करते हैं. ये हमास के खिलाफ जंग में इजरायल के सबसे अहम हथियारों में से एक है. गाजा की तरफ बढ़ते जिन टैंकों को आपने देखा वो मर्कावा टैंक ही हैं. हमास के खिलाफ गाजा के मिशन में इजरायल के सबसे प्रमुख लड़ाके यही मर्कावा टैंक हैं. इन टैंकों को गाजा और इजरायल के संघर्षों को ध्यान में रखते हुए शहरी युद्ध के लिए डिजाइन किया गया है. मर्कावा टैंक को आप इजरायली डिफेंस फोर्स की रीढ़ समझ सकते हैं. मर्कावा इजरायल ही नहीं दुनिया के सबसे उन्नत टैंक में से एक है. इसमें रडार सिस्टम, ऑप्टिकल वॉर्निंग सिस्टम, कैमरा और बाकी लगे सेंसर इसे सुरक्षा के लिहाज से सबसे खास बनाते हैं. मर्कावा टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस है. ये दुश्मन पर हमला करने से पहले उसकी पहचान करता है और फिर उसे समूल तबाह करता है. यानी ये आसपास के हिस्से को पहले खुद ही मॉनिटर करता है और उसकी सूचना सेना के सभी अंगों को भेजता है ताकि दुश्मन की सटीक जानकारी सेना को मिल सके. इस टैंक में 125 एमएम की तोप है, जो एंटी टैंक मिसाइल लॉन्च में भी सक्षम है. इसमें 7.62 एम एम की मशीन गन, 120 बोर की बंदूक, स्मोक लॉन्चर और 60 एमएम के मोर्टार भी लगाए गए हैं ताकि अलग-अलग हालात में भी ये दुश्मन पर भारी पड़े. मर्कावा टैंक को 8 लोग मिलकर डील करते हैं. मर्कावा को यूरोप और अमेरिका के टैंकों से बेहतर माना जाता है क्योंकि मर्कावा के अलावा बाकी किसी भी टैंक पर अगर दुश्मन ने हमला किया तो टैंक में बैठे सैनिकों के बचने की उम्मीद न के बराबर होती है. जबकि मर्कावा का पहला लक्ष्य ही टैंक में बैठे सैनिकों की रक्षा करना है. उनकी जान बचाना है. ऐसे में गाजा में एंट्री के बाद मर्कावा टैंक हमास आतंकियों के लिए काल बन सकता है.
हमास के खिलाफ इजरायल अपने अभेद्य और घातक हथियार हेरॉन ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहा ह. ये हेरॉन ड्रोन भारतीय सेना के पास भी हैं, जिसकी ताकत का लोहा पूरी दुनिया मानती है. इसे एक साथ कई मिशन पर तैनात किया जा सकता है. इसी हेरॉन ड्रोन के हमले में इजरायल की सेना ने आज हमास के एयर चीफ अबू मुराद और हमास कमांडर अबू मुराद को मार गिराया. इजरायल ने चेतावनी भी दी है कि ऐसे ही चुन-चुनकर हमास के आतंकियों को मारेंगे. हेरॉन ड्रोन की सबसे बड़ी बात ये है कि ये आसमान से ही टारगेट को लॉक करके उसकी सटीक पोजिशन आर्टिलरी यानी टैंक या इंफ्रारेड सीकर मिसाइल को दे सकता है. यानी ड्रोन से मिले सटीक टारगेट पर हमला किया जा सकता है. हेरोन ड्रोन की रेंज 1 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है, ये कई तरह के पेलोड का इस्तेमाल करके अपने टारगेट को पूरी तरह बर्बाद करता है. हेरॉन करीब 45,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मन की निगरानी कर सकता है और एक बार में ये अधिकतम 2700 किलोग्राम तक हथियार भी ले जाता सकता है, जिनमें गाइडेड बम और हवा से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलें और दूसरे हथियार शामिल हैं. ये किसी भी मौसम में उड़ने में सक्षम है. इस ड्रोन को हवा में ही ईंधन भरने और सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है. इसीलिए ये ड्रोन भारतीय सेना का भी पसंदीदा माना जाता है. मैन्युअल और ऑटोमैटिक कंट्रोल दोनों तरह के सिस्टम है. खास बात ये है कि ये एंटी जैमिंग तकनीक से भी लैस है यानी इसे दुश्मन हैक नहीं कर सकता, रोक नहीं सकता है. इसी ड्रोन की मदद से अमेरिका ने अल कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को मारा था. बस रिमोट दबाया और दुश्मन बर्बाद, इजरायल अब हमास पर भी इसका इस्तेमाल कर रहा है. हेरॉन ड्रोन की तरह ही हर्मीस ड्रोन भी इजरायल की सेना का बड़ा योद्धा है. हर्मीस ड्रोन भी दुश्मन के लिए बड़ा खतरा है. 17 मीटर चौड़े पंखों वाला हर्मीस ड्रोन करीब 7,600 मीटर की ऊंचाई तक 36 घंटे तक उड़ सकता है और अतिरिक्त 450 किलोग्राम तक भार उठा सकता है. सीमा सुरक्षा और आतंक विरोधी अभियानों में ये भी इजरायली सेना का बड़ा मददगार है.
अगला हथियार है कावरेट युद्धपोत, इजरायल ने हमास को तबाह करने के लिए अपने युद्धपोतों को भी तैयार किया है. इजरायल का एक हिस्सा लाल सागर से लगता है. इसीलिए वहां भी दुश्मन से निपटने के लिए इजरायल ने कावरेट युद्धपोत तैयार रखे हैं. इसका वजन करीब 2000 टन है. इस युद्धपोत में 250 से ज्यादा अत्याधुनिक सेंसर, हथियार और कम्युनिकेशन सिस्टम लगे हैं जो किसी भी हालात में काम करने में सक्षम है. इस युद्धपोत से जमीन से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइल भी चलाई जा सकती हैं.
इस मुश्किल हालात में एक इजरायली सांसद ने आतंकियों के खिलाफ एक्शन को जल्द खत्म करने के लिए जेरिको-3 मिसाइल के इस्तेमाल की मांग की है. कहा जा रहा है कि अगर इजरायल ने इस मिसाइल का इस्तेमाल किया तो पलभर में इस जंग का नक्शा ही बदल जाएगा. आपको जेरिको-3 मिसाइल की ताकत के बारे में बताते हैं. जेरिको-3 मिसाइल को डूमडेज यानी प्रलय का हथियार कहा जाता है. ये अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है जो 4,800 किलोमीटर से लेकर 6,500 किलोमीटर तक मार कर सकता है. ये अपने साथ 1300 किलोग्राम तक गोला बारूद ले जाने की क्षमता रखता है. इस मिसाइल सिस्टम का व्यास करीब 1.56 मीटर है. सटीक निशाना लगाने की काबिलियत इसे बेहद अहम हथियार बना देता है. टारगेट को ढूंढकर खाक में मिलाने में सक्षम इस मिसाइल सिस्टम की गिनती दुनिया की सबसे सबसे उन्नत परमाणु मिसाइल में होती है. ये जेरिको मिसाइल सिस्टम का सबसे आधुनिक वर्जन है. हालांकि, इसे कहीं तैनात किया गया है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है.
कुछ और बड़े हथियारों के बारे में बताएं तो उनके बीच इजरायल का एक खास तरह का बुलडोजर भी है. हमास के आतंकियों के लिए ये काल के समान है. इस बुलडोजर का नाम D9R बख्तरबंद बुलडोजर है. इसे इजरायल ने गाजा में आक्रमण का नेतृत्व करने वाले दस्ते के साथ भेजा है. इस बुलडोजर पर रॉकेट और आरपीजी के हमले भी बेअसर हैं. ये 26 फीट लंबा और 62 टन वजनी है. इसमें 15 टन वजन सिर्फ बख्तरबंद कवच का है. इसे न बारूदी सुरंग भेद सकती है और न ही कोई बम धमाका. ये मोटी से मोटी दीवार को भेदने में सक्षम है. ये खाइयां भी खोद सकता है और पुल भी बना सकता है. इसमें ग्रेनेड लॉन्चर, माउंटेड मशीन गन भी लगाई जा सकती हैं. D9R नाम का ये बख्तरबंद बुलडोजर घनी आबादी में इजरायल के सैनिकों के लिए रास्ता बनाएगा. ये इमारतों को ढहाएगा और हमास के आतंकी को तलाशने में मदद करेगा यानी अपने आप में चलता-फिरता बख्तरबंद दस्ता है.
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