Indian Army: सैम मानेकशॉ का जन्मदिन 3 अप्रैल को पड़ता है. इसी बहाने आइए उनके जीवन पर एक बार फिर से नजर डालते हैं. सैम मानेकशॉ ना सिर्फ भारत के इतिहास के सबसे महान सैन्य अधिकारियों में से एक हैं, बल्कि उन्होंने अपनी वीरता, रणनीतिक कौशल और नेतृत्व के माध्यम से भारत को कई युद्धों में जीत दिलाई.
Sam Manekshaw: वो आर्मी अफसर जिसने पाकिस्तान युद्ध जीतने में जबरदस्त भूमिका निभाई. वो आर्मी अफसर जिसकी वीरता की कायल खुद इंदिरा गांधी थीं. वो आर्मी अफसर जो अपने सैनिकों पर जान छिड़क देता था. सैम होरमूजजी फ्रांमजी जमशेदजी मानेकशॉ था.
उन्हें सैम या सैम बहादुर कहा जाता था. 3 अप्रैल 1914 को पंजाब के अमृतसर जिले में जन्मे सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित अफसर माने जाते हैं.
मानेकशॉ देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच का वो हिस्सा रहे. युद्ध के मैदान में और भारतीय सेना में उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की उनकी चर्चा आज भी होती है. हाल ही में उन पर बनी फिल्म सैम बहादुर भी खूब चर्चा में रही.
वो 1971 के भारत पाक युद्ध के शिल्पी रहे. उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े करने में इंदिरा की जबरदस्त मदद की. मानेकशॉ बहुत ही डेकोरेटेड ऑफिसर रहे और ताउम्र भारतीय संविधान और सेना के प्रति जवाबदेह रहे. मानेकशॉ के 4 दशक के सैन्य करियर में 5 युद्ध शामिल हैं और वह इंडिया के पहले फील्ड मार्शल बनाए गए.
मानेकशॉ ने 1932 में भारतीय सैन्य अकादमी में एडमिशन ले लिया और 2 साल बाद सेना में शामिल हो गए. आजादी के समय जम्मू-कश्मीर में भी उन्होंने शानदार काम किया था. इसके बाद 1971 के युद्ध में उन्होंने सेना का इतिहास ही पलट दिया और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी.
उनकी तस्वीरों को देखिए तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. शानदार व्यक्तित्व..जोशीला भाषण और रौबदार चाल, उनको देखकर सेना के बड़े से बड़े अधिकारी सतर्क हो जाते थे. इंदिरा गांधी उनकी कार्यशैली को बहुत पसंद करती थी.
सैम मानेकशॉ ना सिर्फ भारत के इतिहास के सबसे महान सैन्य अधिकारियों में से एक हैं, बल्कि उन्होंने अपनी वीरता, रणनीतिक कौशल और नेतृत्व के माध्यम से भारत को युद्धों में जीत दिलाई. मानेकशॉ के जन्मदिवस (3 April) पर उन्हें शत शत नमन.
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