तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को दी डी लिट की मानद उपाधि
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तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को दी डी लिट की मानद उपाधि

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय (टीएमयू), मुरादाबाद ने विशेष दीक्षांत समारोह में पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर को डॉक्टर ऑफ लेटर्स की मानद उपाधि से सम्मानित किया. श्री श्री रविशंकर जी ने अपने संबोधन में इस सम्मान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की.

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को दी डी लिट की मानद उपाधि

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय (टीएमयू), मुरादाबाद ने विशेष दीक्षांत समारोह एवं युवा संवाद कार्यक्रम में पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर को डॉक्टर ऑफ लेटर्स की मानद उपाधि से सम्मानित किया. यह महत्वपूर्ण सम्मान माननीय कुलाधिपति श्री सुरेश जैन द्वारा प्रदान किया गया. आध्यात्मिक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी ने अपने संबोधन में इस सम्मान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए टीएमयू की प्रशंसा की जो अकादमिक क्षेत्र की पारंपरिक सीमाओं से परे है. गुरुदेव ने कहा, 'टीएमयू न केवल शिक्षा में उत्कृष्ट है बल्कि व्यक्तिगत विकास पर भी बहुत जोर देता है, जो उतना ही महत्वपूर्ण है. यहां का वातावरण सचमुच सराहनीय है.'

उन्होंने स्थिरता और सामाजिक जिम्मेदारी के सिद्धांतों को कायम रखने के लिए टीएमयू की भी सराहना की. उन्होंने आगे कहा कि टीएमयू ने ऐसे छात्रों को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया है जो कौशल और नैतिक मूल्यों को समान रूप से धारण करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. स्थिरता के प्रति विश्वविद्यालय का समर्पण इसे एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में अलग करता है, और मुझे उम्मीद है कि यह दृष्टिकोण देश भर में दूसरों को प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने कहा, 'पर्यावरण के प्रति सचेत रहने वाले जिम्मेदार, सर्वगुणसंपन्न व्यक्तियों के पोषण पर विश्वविद्यालय का ध्यान प्रेरणादायक है.' गुरुदेव ने कहा, 'ऐसे मूल्यों के लिए अडिग विश्वविद्यालय से यह डिग्री प्राप्त करके मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं.'

ज्ञान और मूल्यों का संतुलन

पूज्य गुरुदेव ने ज्ञान और मूल्यों पर आधारित शिक्षा के विषय में संबोधित करते हुए कहा, शैक्षणिक उत्कृष्टता और व्यक्तिगत विकास के लिए समर्पित, टीएमयू एक अद्वितीय शैक्षिक दर्शन को बढ़ावा देता है. विश्वविद्यालय का व्यापक दृष्टिकोण आधुनिक शिक्षा को प्राचीन ज्ञान के साथ एकीकृत करता है, यह सुनिश्चित करता है कि छात्र ज्ञान और समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की गहरी भावना के साथ स्नातक हों.

शिक्षा के प्रति टीएमयू के समग्र दृष्टिकोण मानवीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा की पैरवी करता है. मूल्यों और शिक्षा के विषय को ध्यान में रखते हुए, गुरुदेव ने हजारों विद्यार्थियों एवं आर्ट ऑफ लिविंग परिवार के सदस्यों को प्रकृति और स्वयं के साथ सद्भाव से रहने को प्रेरित किया. जैन धर्म के जारी पर्यूषण पर्व के दौरान तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय में अपनी उपस्थिति को सौभाग्य का विषय बताया. उन्होंने कहा कि इस आयोजन में करुणा और अनुशासन के मूल्य खूबसूरती से प्रतिबिंबित होते हैं. उन्होंने जल संरक्षण जैसी वैश्विक चिंताओं पर भी बात करते हुए चेतावनी दी कि अगला बड़ा संघर्ष पानी की कमी को लेकर पैदा हो सकता है. उन्होंने जागरूकता बढ़ाने और परिसर में पानी बर्बाद न हो, यह सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए टीएमयू की सराहना की.

कुलाधिपति ने की सराहना

माननीय कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने अपने संबोधन में गुरुदेव के मूल्यों को विश्वविद्यालय के मिशन के साथ जोड़ने पर जोर दिया. उन्होंने गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के प्रति भावुकता से अपना सम्मान भी व्यक्त किया और युवाओं से गुरुदेव की सादगी, करुणा और निस्वार्थता जैसे गुणों को अपनाने का आग्रह किया. श्री सुरेश जैन ने कहा, 'आज गुरुदेव को अपने बीच पाकर हम वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि उनकी शिक्षाएं न केवल हमारे विद्यार्थियों, बल्कि विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोगों को प्रेरित करेंगी.

सुदर्शन क्रिया के एक प्रमुख अभ्यास 'सोहम' के लयबद्ध मंत्रों के साथ विद्यार्थियों को संबोधित किया, जिससे कार्यक्रम में आध्यात्मिक ऊर्जा भर गई. शक्तिशाली मंत्रोच्चार पूरे पंडाल में गूंज उठा, जिसने हजारों विद्यार्थियों को शांति और नवचेतना के संचार से अभिभूत किया. जैसे ही कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने अपना भाषण समाप्त किया, उन्होंने पुन: सभी से गुरुदेव द्वारा साझा किए गए मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'एक साथ मिलकर, हम ज्ञान, करुणा और स्थिरता के माध्यम से एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं.' उन्होंने इस आयोजन को अपने छात्रों और समाज के लिए एक उज्जवल भविष्य के निर्माण की दिशा में टीएमयू की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया.

कार्यकारी निदेशक का संदेश

कार्यकारी निदेशक श्री अक्षत जैन ने गुरुदेव और विद्यार्थियों को मंत्रमुग्ध करते हुए, गुरुदेव की शिक्षाओं का उनके व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव की विवेचना की. उन्होंने भारतीय संस्कृति के गहरे प्रभाव को स्वीकार किया, जो आज भी दुनिया भर को प्रेरित करता है. उन्होंने कहा, 'इन समृद्ध परंपराओं को भारतीय युवाओं तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है और टीएमयू इस मिशन को पूरा कर रहा है.' श्री जैन ने सुदर्शन क्रिया के महत्व पर भी प्रकाश डाला, उन्होंने कहा, यह एक परिवर्तनकारी अभ्यास है जो उन्होंने गुरुदेव से सीखा था, और इसे 'खुशी का सच्चा मार्ग' बताया. श्री अक्षत जैन के सारगर्भित संबोधन की सभी ने मुक्त कंठ से सहराना की.

परंपरा और सम्मान का समारोह

गुरुदेव की उपस्थिति से अभिभूत यह आयोजन परंपरा और प्रतीकवाद से समृद्ध था. समूह के उपाध्यक्ष (जीवीसी) श्री मनीष जैन ने गुरुदेव का माल्यार्पण कर उन्हें अंगवस्त्र भेंट किया. कार्यकारी निदेशक श्री अक्षत जैन ने सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक श्रीफल भेंट किया. कुलपति प्रोफेसर वी.के. जैन ने टीएमयू की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया. उपलब्धियों में गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा के साथ ही नैक मूल्यांकन में ए ग्रेड, एनआईआरएफ रैंकिंग, पेटेंट और स्टार्टअप आदि बिंदु शामिल रहे. कुलसचिव, डॉ. आदित्य शर्मा ने प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया.

शैक्षणिक शोभायात्रा में श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, कार्यकारी निदेशक श्री अक्षत जैन, कुलपति प्रोफेसर वी.के. जैन समेत अकादमिक परिषद के सदस्य शामिल रहे. समारोह में डीन ऑफ एकेडमिक्स, प्रो. मंजुला जैन के साथ-साथ एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यास, एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लो, मेयर श्री विनोद अग्रवाल, श्री अनिल जैन के साथ ही प्राचार्य, शिक्षक एवं 15 हजार से विद्यार्थियों समेत विवि परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे. तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की प्रथम महिला, श्रीमती वीना जैन के साथ ही निदेशक प्रशासन, श्री अभिषेक कपूर की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. आर्ट ऑफ लिविंग परिवार के हजारों सदस्यों की सहभागिता रही. साकेत कक्कड़ व उनकी पूरी टीम ने भजनो से आध्यात्मिकता का अविरल प्रवाह किया. रितु नारंग ने योगासन कराने के साथ ही योग का महत्व बताया. समारोह का संचालन, प्रो एंड हेड मीडिया सेल, डॉ माधव शर्मा ने किया.

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