रामप्पा मंदिर का निर्माण बेहद ही हल्के पत्थरों से किया गया है .हम आपको मंदिर के पत्थर से जुडे एक एक रहस्य बताएंगे .इसके वैज्ञानिक पहलुओं की भी पड़ताल करेंगे. उन सवालों के जवाब ढुंढेगे जो बीते 800 साल से किसी रहस्य से कम नहीं हैं.
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रामप्पा मंदिर मंदिरों की आकाश गंगा का सबसे चमकीला सितारा. लाल पत्थर से बना एक ऐसा मंदिर, जिसकी चमक के एक नहीं कई कारण हैं. 800 साल पहले बनाया गया एक ऐसा मंदिर जो जीवित प्रमाण है. इतिहास में कुशलता का. दर्शन है शिल्पकारों की शुद्ध प्रतिभा का. रामप्पा मंदिर, जिसे बाकि मंदिरों की तरह भारी भरकम पत्थरों से नहीं बनाया गया. ना ही किसी पत्थर के बड़े आकार से काटकर इसे तैयार किया गया.
800 साल से अनसुलझा रहस्य
बल्कि रामप्पा मंदिर का निर्माण बेहद ही हल्के पत्थरों से किया गया है .हम आपको मंदिर के पत्थर से जुडे एक एक रहस्य बताएंगे .इसके वैज्ञानिक पहलुओं की भी पड़ताल करेंगे. उन सवालों के जवाब ढुंढेगे जो बीते 800 साल से किसी रहस्य से कम नहीं हैं. मसलन
-बीते 800 साल से मंदिर को कई नुकसान क्यों नहीं हुआ?
-तमाम प्राकृतिक आपदा के बाद भी इतने हल्के मंदिर पर कोई असर क्यों नहीं हुआ?
-आखिर 800 साल से मंदिर एक जगह कैसे मौजूद और बरकरार है?
-आखिर इन खास पत्थरों को इंसानों ने तैयार किया या फिर इसके पीछे कोई दैवीय ताकत है?
मंदिर की सबसे खास खूबी. इसके निर्माण में इस्तेमाल किए पत्थर. जो कई वर्षों तक वैज्ञानिकों के लिए किसी पहेली से कम नहीं रही.
13 वीं शताब्दी में मशहूर इटालियन व्यापारी मार्को पोलो भारत आए थे. रामप्पा मंदिर से मार्को पोलो इतने प्रभावित हुए कि इस मंदिर को
मंदिरों की आकाश गंगा का सबसे चमकता सितारा बताया. हो सकता है सूर्य की रोशनी में चमकीले लाल पत्थर ने मार्को पोलो का ध्यान आकर्षित किया हो. हो सकता है मंदिर के हर हिस्से में की गई बारीक नक्काशी ने मार्कों पोलो को हैरान किया हो.
रामप्पा मंदिर के खंभे को देखकर ऐसा लगता है .कि इसे आज के आधुनिक मशीनों से तैयार किया गया हो. मंदिर के दिवारों पर कई गई कारीगरी, आज से 8 सदी पहले की शिल्पकला का सबसे बेहतरीन उदाहरण है.
मंदिर पर पौराणिक जानवरों और महिला नर्तकियों या संगीतकारों की आकृतियों को उकेरा गया है. जो काकतीय कला की सबसे उत्तम कृति है . मार्को पोलो ने रामप्पा मंदिर को जो संज्ञा दी. उसके पीछे की एक और वजह है. दरअसल रामप्पा मंदिर 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर भव्य रूप से खड़ा है जो तारे के आकार का है.
मंदिर के गर्भगृह के सामने एक कक्ष बना है. जिसमें कई नक्काशीदार स्तंभ हैं. इस कक्ष को देखकर ऐसा लगता है कि प्रकाश और अंतरिक्ष को अद्भुत रूप से जोड़ने की कोशिश की गई हो.
रामप्पा मंदिर तेलंगाना के मुलुगु जिले की एक घाटी में स्थित है. हालांकि अब यहां बस एक छोटा सा गांव है. लेकिन 13वीं और 14वीं शताब्दी में इसका एक गौरवशाली इतिहास रहा. मंदिर के परिसर में एक शिलालेख है. जिसके अनुसार मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था. काकतीय शासक गणपति देव के शासनकाल में सेनापति रेचारला रुद्र देव ने इसका निर्माण करवाया.
800 साल पहले जिस मंदिर का निर्माण हुआ .वो आज भारत की शिल्पकारी और आस्था का पर्याय बन चुका है. तभी तो साल 2021 में UNESCO ने रामप्पा मंदिर को वर्ल्ड़ हेरीटेज साइट सूची में शामिल किया है.