आखिर किस ग्रह की वजह से लोग बन जाते हैं साधु-संन्यासी, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
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आखिर किस ग्रह की वजह से लोग बन जाते हैं साधु-संन्यासी, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

Sanyas Yog in Kundli: कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति और दृष्टि व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है. शनि से बनने वाले कुछ योग व्यक्ति को संन्यास की ओर ले जाता है.

आखिर किस ग्रह की वजह से लोग बन जाते हैं साधु-संन्यासी, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

Which Planet Makes a Person Saint: महाकुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु और संन्यासी प्रयागराज के पवित्र घाटों पर डुबकी लगाने पहुंचे हैं. नागा साधुओं की वेशभूषा और जीवनशैली हमेशा से आम लोगों के लिए रहस्य और आकर्षण का विषय रही है. कड़ाके की ठंड में भी बिना वस्त्र के जीवनयापन करने वाले ये साधु सांसारिक मोह-माया को त्याग कर संन्यास ग्रहण करते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि कोई व्यक्ति व्यक्ति साधु-संन्यासी क्यों बनता है? आइए जानते हैं कुंडली में शनि के कौन-से योग व्यक्ति को संन्यासी बनने की ओर ले जा सकते हैं.

दुर्बल लग्न पर शनि की दृष्टि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का लग्न (पहला भाव) व्यक्ति के स्वभाव, मानसिक स्थिति और व्यवहार को दर्शाता है. अगर, लग्न मजबूत हो तो व्यक्ति सांसारिक जीवन में सफलता प्राप्त करता है. लेकिन, यदि लग्न कमजोर हो और उस पर वैराग्य के कारक शनि की दृष्टि पड़ रही हो तो व्यक्ति के मन में विरक्ति की भावना जागती है. ऐसा व्यक्ति सांसारिक जीवन से असंतुष्ट रहता है और साधु-संन्यासी बनने की ओर आगे बढ़ जाता है. 

शनि की दृष्टि लग्न के स्वामी पर

अगर, लग्न का स्वामी कुंडली में कहीं भी स्थित हो और उस पर शनि की दृष्टि हो, तो यह स्थिति व्यक्ति के अंदर वैराग्य उत्पन्न होने लगता है. ऐसा व्यक्ति सांसारिक जीवन में घुल-मिल नहीं पाता और अक्सर एकांतवास में चला जाता है. यह स्थिति भी व्यक्ति को संन्यास की ओर ले जा सकती है.

9वें भाव में शनि का प्रभाव

कुंडली का 9वां भाव धर्म और आध्यात्म को दर्शाता है. अगर, इस भाव में शनि ग्रह अकेला हो और उस पर किसी दूसरे ग्रह की दृष्टि न पड़े, तो संन्यास के प्रबल योग बनते हैं. ऐसे जातक का झुकाव धर्म और अध्यात्म की ओर होता है. बचपन से ही संसार से विरक्ति का भाव इनमें देखा जा सकता है. कुंडली के 9वें भाव में अकेला बैठा शनि किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत आगे तक ले जाता है. 

चंद्र स्वामी पर शनि की दृष्टि

चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है, उसे चंद्र राशि कहते हैं. यदि चंद्र राशि का स्वामी दुर्बल हो और उस पर शनि की दृष्टि हो, तो व्यक्ति मोह-माया से दूर रहता है. ऐसा जातक सांसारिक जीवन में उलझने के बजाय आध्यात्म और साधना की ओर बढ़ता है और साधु-संन्यासी बनने की राह को अपनाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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