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Hanuman Ji: हम सब लोग अपने घरों में देवी देवताओं के चित्र लगा कर उनकी आराधना करते हैं, उनके सामने बैठकर ध्यान करते हैं फिर भी मन नहीं लगता है. दरअसल प्रत्येक देवता का पूजन करने में भाव बहुत प्रमुख बात होती है. भाव यानी मूड, जब आपका मूड अच्छा होता है तभी आप कोई क्रिएटिव काम कर पाते हैं यानी रिजल्ट ओरियंटेड वर्क हो पाता है. इसी तरह भगवान का भी मूड होता है, आपके अपने घर में देवी देवताओं के जो भी चित्र लगाने हों उन्हें बहुत सोच समझ कर मूड के अनुसार लगाना चाहिए.
संत कबीर ने भी कहा है “माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।” यानी माला फेरते हुए तो पूरा जीवन बीत जाता है फिर भी मन का भाव नहीं बदलता है, मन की हलचल नहीं शांत होती है, ऐसे लोगों को कबीर दास जी सलाह देते हैं कि हाथ की माला फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो तो ईश्वर सहज ही प्राप्त हो जाएंगे.
पहाड़ ले जाने वाले चित्र के साथ जुड़ी हैं कई बातें
सामान्यतः घरों में हनुमान जी का जो चित्र लगा होता है उसमें वह संजीवनी बूटी सहित पूरा पहाड़ ले जाते हुए दिखते हैं. इस चित्र के भाव को समझने की कोशिश कीजिए. लंका में रावण से युद्ध चल रहा है, प्रभु श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी को शक्ति लगी है जिससे वे मूर्छित हो कर भूमि पर गिर पड़े. श्री राम सहित पूरी सेना इस घटना से बहुत दुखी और निराश हो गई. ऐसे में लंका में रावण के वैद्य सुषेण को बुलाया जाता है. सुषेन वैद्य ने लक्ष्मण जी के इलाज के लिए संजीवनी बूटी नाम की दवा तो बताई किंतु वह हिमालय पर्वत पर मिलने की बात कही और यह शर्त भी लगा दी कि सूर्योदय के पहले तक दवा आने पर ही लक्ष्मण जी का जीवन बचाया जा सकता है.
अब ऐसी स्थिति में हनुमान जी अपने प्रभु की सेवा में अर्जेंट काम के लिए जा रहा हैं जिनके मन में एक ही भाव है कि किसी तरह से दवा लाकर समय से पहुंचा दी जाए और लक्ष्मण जी स्वस्थ हों ताकि प्रभु श्री राम का विषाद कुछ कम हो सके. दवा लेने गए तो वहां पर रावण ने अपनी माया से कन्फ्यूजन पैदा कर दिया और पौधा चमकने लगा. ऐसे में हनुमान जी ने पूरा पहाड़ ही उखाड़ लिया. रास्ते में भरत भाई ने देखा कि अयोध्या के ऊपर से कोई उड़ा चला जा रहा है तो उन्होंने बाण मार कर हनुमान जी को नीचे गिरा लिया.
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सारी बात पता लगने पर हनुमान जी फिर समय से लंका में पहुंचे और दवा पाकर लक्ष्मण जी की मूर्छा समाप्त हुई. अब आप ऐसे भाव वाले चित्र के सामने अपने प्रमोशन, वेतन वृद्धि या अन्य किसी तरह की प्रार्थना करेंगे तो वह कैसे सुन सकेंगे क्योंकि हनुमान जी तो स्वयं ही बहुत परेशानी की स्थिति में हैं.
पहाड़ लिए हुए उड़ते हनुमान जी के चित्र की उपासना एक डॉक्टर कर सकता है कि जिस तरह आपने श्री लक्ष्मण जी का जीवन बचाया उसी तरह की शक्ति मुझे भी प्रदान करें ताकि मैं भी अपने मरीजों को स्वस्थ कर सकूं. सामान्य व्यक्ति तो ऐसे चित्र की उपासना निष्काम भाव से कर सकता है कि आप राम काज के लिए जा रहे हैं तो सफल हों. कुछ देर श्री राम श्री राम का जाप भी किया जा सकता है.
पारिवारिक लोगों को अपने घरों में हनुमान जी का वरद मुद्रा वाला चित्र लगाना चाहिए जिसमें वे अपने एक हाथ से आशीर्वाद दे रहे हैं और गदा तान कर न खड़े हों बल्कि बगल में रखी हो. वरद मुद्रा का चित्र सबसे सटीक है. सारा खेल मूड का ही तो है, घर में बच्चा भी अपने पिता का मूड पहचानता है, आफिस से आने के बाद यदि वह फोन पर किसी से तीखे शब्दों में बात कर रहे होते हैं तो बच्चा कोई डिमांड नहीं करता है किंतु जिस दिन पिता जी अच्छे मूड में घर में प्रवेश करते हैं तो बच्चा उनसे लिपट कर डिमांड करता है. आप वरद मुद्रा के हनुमान जी के सामने प्रार्थना करिए, वह अवश्य सुनेंगे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)