Karwa Chauth Vrat Katha : आज करवा चौथ व्रत की पूजा में जरूर पढ़ लें ये कहानी, हर मुराद पूरी होने की गारंटी!
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Karwa Chauth Vrat Katha : आज करवा चौथ व्रत की पूजा में जरूर पढ़ लें ये कहानी, हर मुराद पूरी होने की गारंटी!

Karwa Chauth Vrat Katha : इस साल करवाचौथ के दिन अद्भुत और शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा कई गुना ज्‍यादा फल देगी. लेकिन करवा चौथ व्रत की कहानी पढ़ना न भूलें. 

फाइल फोटो

Karwa Chauth Vrat Ki Kahani: इस साल करवा चौथ पर ग्रह-नक्षत्रों का बहुत शुभ संयोग बन रहा है. आज 13 अक्‍टूबर, गुरुवार को चंद्रमा अपनी उच्‍च राशि वृषभ में रहेंगे. वहीं शाम को चंद्रमा की पूजा के समय रोहिणी नक्षत्र रहेगा. इन नक्षत्र में सुहागिन महिलाओं का पूजा-पाठ करना बहुत लाभ देगा. इसके अलावा सिद्धि योग भी बन रहा है. सौभाग्‍य देने वाले गुरु ग्रह अपनी ही राशि मीन में हैं. इस तरह आज शुभ मुहूर्त में की गई पूजा का बहुत शुभ फल मिलेगा. करवा चौथ की पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 1 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. वहीं चांद 8 बजकर 16 मिनट से दिखेगा. 

करवा चौथ व्रत पूजा में जरूर पढ़ें ये कहानी 

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी. करवा चौथ के दिन साहुकार की पत्‍नी, बहुओं और बेटी ने व्रत रखा. रात को जब बेटे खाने लगे तो उन्‍होंने अपनी बहन से भी खाना खाने के लिए कहा लेकिन बहन ने बताया कि व्रत होने के कारण वह बिना चंद्रमा को अर्ध्‍य दिए भोजन नहीं कर सकती है. सबसे छोटे भाई से अपनी बहन की हालत नहीं देखी गई तो उसने वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है. जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो. यह देखकर बहन ने अपनी भाभी से भी कहा कि चंद्रमा निकल आया है व्रत खोल लें, लेकिन भाभियों ने उसकी बात नहीं मानी और व्रत नहीं खोला.  

इधन बहन अपने भाई की चतुराई नहीं समझ पाई और नकली चांद को अर्ध्‍य देकर व्रत खोलने बैठ गई. लेकिन वह जैसे ही निवाला लेने की कोशिश करे, कुछ न कुछ हो जाए. पहला निवाला लेते समय उसे छींक आ गई, वहीं दूसरे में बाल निकल आया और तीसरा निवाला लेने तक उसके पति की मृत्‍यु का समाचार मिल गया है. वो बेतहाशा रोने लगी तब उसकी भाभी ने उसे नकली चांद की बात बताई और कहा कि गलत तरीके से व्रत टूटने के कारण देवता नाराज हो गए हैं. इस पर बहने ने निश्चय किया कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी. शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही. उसने पूरे साल के दौरान पड़ी सभी चतुर्थी का व्रत किया. फिर अगले साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर फिर से पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसका पति पुनः जीवित हो गया.

मान्‍यता है कि हर साल करवा चौथ की पूजा में यह कहानी जरूर पढ़नी चाहिए, इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही पूजा का पूरा फल मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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