ये चीजें न करें अर्पित- भगवान को कुछ भी अर्पित करते समय उसके नियमों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है. कहते हैं कि भगवान को कभी भी अपने हाथ में धारण किया पुष्प, ताम्र पात्र में रखा चंदन और प्लास्टिक के बर्तन में रखा गंगाजल भूलकर भी अर्पित न करें. तांबे या कांसे के पात्र में ही जल अर्पित करना चाहिए.
किस देवता को क्या चढ़ाएं- पूजा करते समय इस बात का ध्यान जरूरी रखें कि किस देवता को क्या चीज अर्पित करनी चाहिए और क्या नहीं. जैसे पूजा करते समय भगवान विष्णु को चावल, गणेश जी को तुलसी और मां दुर्गा को दुर्वा भूलकर भी अर्पित न करें. इसके अलावा, सूर्य देव को गलती से भी बिल्व पत्र अर्पित न करें. ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होने की जगह रुष्ट हो जाएंगे.
न बुझे दीपक- पूजा करते समय भगवान के सम्मुख दीपक प्रज्जवलित किया जाता है. लेकिन कई बार पूजा करते समय ये दीपक बुझ जाता है. साधक को इस बात का खास ख्याल रखना है कि पूजा करते समय ये दीपक गलती से भी न बुझे. ऐसा होना शुभ नहीं माना जाता.
दीपक से दीपक न जलाएं- कई बार व्यक्ति अनजाने में कुछ गलतियां कर देता है, जो भविष्य में उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. शास्त्रों के अनुसार पूजा करते समय दीपक जलाते हुए अक्सर लोगों को ये गलती करते देखा गया है. मान्चता है कि दीपक से दीपक कभी नहीं जलाना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति दरिद्रता की ओर जाता है.
न पहनें किसी की अंगूठी- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान कभी किसी को सोने की अंगूठी अपने हाथों में धारण न करें. किसी भी मांगलिक कार्य के दौरान दूसरे व्यक्ति की अंगूठी नहीं लेनी चाहिए. अगर आपके पास अंगूठी नहीं है, तो कुश की अंगूठी बनाकर धारण कर सकते हैं.
पूजा के दौरान कहां बैठे पत्नी- घर में किसी भी पूजा अनुष्ठान या हवन आदि के दौरान पत्नी को दाहिनी हाथ की तरफ बैठाना चाहिए. वहीं, अभिषेक, ब्राह्मणों के पैर धुलवाते समय और सिंदूर दान करते समय पत्नी को बाईं ओर बैठना चाहिए.
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