Sawan Pradosh Vrat 2024: सावन महीना विशेष होता है और इसकी कुछ तिथियां तो शिव जी की कृपा पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं. इसमें सावन महीने का प्रदोष व्रत शामिल है.
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Pradosh Vrat 2024 August: हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस समय सावन महीना चल रहा है जो कि भगवान शिव को अति प्रिय है. सावन महीने की कुछ तिथियों को महादेव की कृपा पाने के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इनमें सावन की दोनों त्रयोदशी तिथि विशेष हैं, जिनमें प्रदोष व्रत रखा जाता है.
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सावन का पहला प्रदोष व्रत
सावन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 अगस्त 2024 को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है, जो कि 2 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में सावन माह का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्त, गुरुवार को रखा जाएगा. गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा. सावन के पहले प्रदोष व्रत पर पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त 1 अगस्त को शाम शाम 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पर शुभ योग
सावन के पहले प्रदोष व्रत पर एक नहीं कई शुभ योग बन रहे हैं. सावन के पहले प्रदोष व्रत यानी कि 1 अगस्त 2024 को मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, हर्षण योग, शिव वास योग रहने वाला है. माना जाता है जब भगवान शिव नंदी पर सवार होते हैं, तब यह योग बनता है और इस योग में रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ फल देता है.
प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक के लिए अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक
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सावन का दूसरा प्रदोष व्रत - वहीं सावन महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 17 अगस्त 2024, शनिवार को रखा जाएगा. शनिवार के दिन पड़ने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा. सावन के दूसरे प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त 17 अगस्त को शाम 06 बजकर 58 मिनट से 09 बजकर 09 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत की सुबह जल्दी स्नान करके व्रत-पूजा का संकल्प लें. फिर मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. उन्हें सफेद चंदन, बेल पत्र, फूल व फल आदि चीजें अर्पित करें. इसके बाद शाम में प्रदोष काल से पहले स्नान कर लें और फिर पूजा करें. चौकी पर शिव परिवार विराजमान कराएं. शिव जी और गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं. देवी पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाएं. शिव जी को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करने के बाद घी की दीपक जलाएं. मिठाईयों का भोग लगाएं. शिव चालीसा पढ़ें. आरती करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)