Shukra Pradosh Vrat Katha: शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत अहम माना गया है. यह भगवान शिव के साथ-साथ मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी खास है.
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Shukra Pradosh Vrat Katha in Hindi: हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार आज 7 अक्टूबर 2022 को अश्विन शुक्ल की त्रयोदशी है, साथ ही शुक्रवार का दिन है. शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष कहते हैं. सोम प्रदोष के अलावा शुक्र प्रदोष और शनि प्रदोष को बहुत अहम माना गया है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है. वहीं शुक्र प्रदोष के दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए. इससे जीवन के सारे संकट दूर होते हैं और खूब धन-दौलत भी मिलती है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव-पार्वती और मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए शाम का समय सबसे उपयुक्त माना गया है.
शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज 7 सितंबर की सुबह 7 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है और यह 8 सितंबर की सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी. शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त प्रदोष काल माना जाता है. आज प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजकर 28 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत की पूजन विधि
शुक्र प्रदोष व्रत करने के लिए सुबह जल्दी स्नान करके सफेद या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें. भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें. शिव जी की पूजा करें और शाम तक निराहार रहें. इस व्रत में केवल पानी पी सकते हैं और जरूरत पड़ने पर फल का सेवन कर सकते हैं. पूरे दिन उपवास के बाद शाम के समय प्रदोष काल या शुभ मुहूर्त में उतर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं. फिर भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करके उन्हें रोली, मोली, चावल, धूप, दीप अर्पित करें. चावल की खीर और केले आदि अर्पित करें. कम से कम 108 बार ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. प्रदोष व्रत की कथा जरूर पढ़ें और आखिर में आरती करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)