Sleeping Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण-पूर्व दिशा के वास्तु दोष वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी के बीच विवाद उत्पन्न कर सकते हैं.
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Vastu Tips For Sleeping: वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व बताया गया है. घर की सही दिशा में बने निर्माण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है.वास्तु शास्त्र के जानकारों की मानें तो दक्षिण दिशा और दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) का सही उपयोग घर के लिए अत्यंत शुभ है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्नि देव का वास होता है. ऐसे में इस दिशा में खाना पकाने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है. इसके अलावा घर में रहने वालों की उम्र भी बढ़ती है. ऐसे में चलिए जानते हैं दक्षिण-पूर्व दिशा से जुड़े खास वास्तु टिप्स.
दक्षिण पूर्व दिशा से जुड़े वास्तु टिप्स
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर का मुख्य द्वार दक्षिण पूर्व कोने में होना चाहिए. इस दिशा में मुख्य द्वार होने से परिवार में खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है.
वास्तु नियम के मुताबिक, घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम में बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए. इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न होने लगता है.
दंपतियों को दक्षिण-पूर्व दिशा में बने कमरे में नहीं सोना चाहिए, क्योंकि इस दिशा में सोने से उनके बीच वाद-विवाद और तनाव बढ़ सकता है.
दक्षिण-पूर्व के कमरों को हल्के क्रीम और हरे रंग से पेंट करना शुभ माना जाता है। यह रंग इस दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं.
आग्नेय कोण में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखना वास्तु के अनुसार लाभकारी होता है. यह दिशा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए इस स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक आइटम बेहतर काम करते हैं.
दक्षिण-पूर्व दिशा में कामधेनु गाय की मूर्ति रखने से घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है.
इस दिशा में खरगोश के जोड़े की मूर्ति रखने से मानसिक शांति मिलती है और चिंता कम होती है. यह मूर्ति सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है.
वास्तु में क्या है दक्षिण दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा की जमीन ऊंची होनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिशा में भूमि ऊंची होने और भार रखने से घर के मुखिया का जीवन सुखमय, समृद्ध और निरोगी होता है. इसके अलावा घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है.
दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण)
वास्तु नियम के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्निदेव का वास होता है. इसलिए इस कोने को आग्नेय कोण कहा गया है, जो पांच तत्वों में से एक अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)