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Rules Of Reciting Sunderkand: हिंदू धर्म में कलयुग में भी भगवान हनुमान को अजर और अमर माना जाता है. ऐसी मान्यता है एक भगवान हनुमान ही हैं जो अभी तक अपने मूल स्वरूप में धरती लोक पर मौजूद हैं. इसलिए जो भी भक्त तन और मन से उनकी आराधना करते हैं उन्हें मनचाही सफलता जरूर हासिल होती है. इतना ही नहीं जो भी व्यक्ति निष्ठा भाव से बजरंगबली की आराधना करता है भगवान उसके सारे कष्ट और संकट हर लेते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार और शनिवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति गोस्वामी श्री तुलसीदास द्वारा रचित सुंदरकांड का पाठ करता है उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान हनुमान की कृपा उस पर हमेशा बरसती रहती है. लेकिन यदि सुंदरकांड के पाठ करने के कुछ खास नियम हैं यदि इसकी अनदेखी की जाए तो शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है. आइए विस्तार में सुंदरकांड के पाठ के कुछ खास नियमों के बारे में जानें.
सुंदरकांड के पाठ के खास नियम
पहले नियम में भक्त कोशिश करें कि सुंदरकांड के पाठ को शनिवार या मंगलवार के दिन ही पढ़ें. ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही उस पर बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद हमेशा बरसते रहता है.
दूसरे नियम में जो भी व्यक्ति सुंदरकांड का पाठ करने जा रहा है उससे पहले उसे स्नान जरूर कर लेना चाहिए. इसके बाद साफ कपड़े पहन कर तन मन से शुद्ध हो कर मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर विधि विधान से पूजा कर सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए.
तीसरे नीयम में यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से किसी कार्य में सफलता हासिल नहीं हो पा रही तो उसे मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से उसके अंदर आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति जागती और बढ़ती है.
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चौथे नियम में यदि व्यक्ति प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसे मर्ज और कर्ज दोनों ही कष्टों से छुटकारा मिल जाता है.
पांचवें नियम में यदि व्यक्ति श्रद्धा और समर्पण भाव से सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसे कभी भी भूत, पिशाच, शत्रु बाधा, शनि और राहु केतु का भय नहीं सताता है. साथ ही उसे जीवन में हर क्षेत्र और कदम पर सफलता हासिल होने लगती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)