Pinaka: पहले से चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात भारत का स्वदेशी रॉकेट सिस्टम 'पिनाका' को और मजबूत बनाने के लिए 10200 करोड़ रुपये के दो सौदों को मंजूरी मिल गई है. इससे चीन और पाकिस्तान की बेचैनी बढ़नी लाजमी है.
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Pinaka: स्वदेशी पिनाका मल्टी-लॉन्च आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम अब और खरनाक होने जा रहा है. क्योंकि पीएम के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने बुधवार को इसकी खतरनाक गोला-बारूद से जुड़ी दो बड़ी डील्स को मंजूरी दी, जिनकी कुल कीमत लगभग 10,200 करोड़ रुपये है. इनमें से एक डील हाई-एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड रॉकेट गोला-बारूद के लिए है, जिसकी लागत लगभग 5700 करोड़ रुपये है. दूसरी डील एरिया डिनायल म्यूनिशन (क्षेत्र निषेध हथियार) के लिए है, जिसकी कीमत करीब 4500 करोड़ रुपये है. यह गोला-बारूद सेना की पहले से तय 10 पिनाका रेजिमेंट्स के लिए होगा.
हाई-एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड रॉकेट 45 किमी तक मार कर सकता है, जबकि एरिया डिनायल म्यूनिशन 37 किमी की दूरी तक फेंका जा सकता है. एरिया डिनायल म्यूनिशन किसी इलाके में छोटे बमों की बौछार कर सकता है, जिसमें एंटी-टैंक और एंटी-पर्सनल माइंस भी शामिल हैं. यह गोला-बारूद नागपुर की निजी कंपनी सोलर ग्रुप और सरकारी म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड के ज़रिए 60:40 के अनुपात में बनाया जाएगा. जल्द ही इन कंपनियों के साथ इस संबंध में अनुबंध किया जाएगा.
फिलहाल भारतीय सेना के पास चार पिनाका रेजिमेंट्स हैं, जिनमें से कुछ लॉन्चर्स चीन सीमा के ऊंचे इलाकों में तैनात किए गए हैं. बाकी छह रेजिमेंट्स को शामिल करने की प्रक्रिया जारी है. इसके बाद सेना की ताकत में और इजाफा हो जाएगा. डीआरडीओ ने पिनाका के लिए कई प्रकार के गोला-बारूद तैयार किए हैं. जिनमें 45 किमी और 75 किमी तक मार करने वाले रॉकेट शामिल हैं. अब इस रेंज को पहले 120 किमी और फिर 300 किमी तक बढ़ाने की योजना है.
पिनाका भारतीय सेना का एक स्वदेशी मल्टी-लॉन्च आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (MLRS) है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. यह एक अत्याधुनिक रॉकेट प्रणाली है, जिसे दुश्मन के ठिकानों पर तीव्र और सटीक हमला करने के लिए बनाया गया है. इसको कई मकसद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे यह दुश्मन के बंकर, सैन्य ठिकानों, कमांड पोस्ट, हल्के बख्तरबंद वाहनों और अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को टार्गेट करने की क्षमता रखती है.
पिनाका कई खासितयों में एक खासियत यह भी है कि ये एक बार में 12 रॉकेट दाग सकता है और कुछ सेकंड में एक बड़े इलाके को तबाह कर सकती है. इसकी सामान्य रेंच 40Km है जिसे बढ़ाकर 45-75km किया गया था. हालांकि भविष्य में इसको 120-300 किलोमीटर बढ़ाने की योजना है. यह मोबाइल लॉन्चर सिस्टम पर आधारित है, जिससे इसे जंग के मैदान में तेजी से तैनात किया जा सकता है.
पिनाका अपने सटीक निशाने के लिए भी पहचानी जाती है. क्योंकि इसका गाइडेड वर्जन जीपीएस और नेविगेशन सिस्टम से लैस है, जिससे इसकी सटीकता और बढ़ जाती है. पिनाका को 1999 के कारगिल युद्ध में पहली बार इस्तेमाल किया गया था, जहां इसने अपनी मारक क्षमता साबित की. यह सेना के तोपखाने (आर्टिलरी) का एक मजबूत हिस्सा बन चुका है. चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर इसे पहले से ही तैनात किया गया है.