Vat Savitri Puja Vidhi: पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करके उस पर कच्चा सूत लपेटा जाता है. आइए जानते हैं इसकी वजह.
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Vat Savitri Vrat: हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कई व्रत रखती है, जिसमें एक व्रत वट सावित्री हाल ही में पड़ने जा रहा है. वट सावित्री के दिन निर्जला व्रत रखकर सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा अर्चना करती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री इसी दिन अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आई थीं. सत्यवान का शव बरगद के पेड़ के नीचे रखा था, इसलिए इस पर्व का नाम वट सावित्री पड़ा. जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां पति के आरोग्य और दीर्घायु के लिए व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. इस वर्ष यह ज्येष्ठ अमावस्या यानी 6 जून गुरुवार को मनाया जाएगा.
बरगद के पेड़ में है त्रिदेव का वास
बरगद के वृक्ष में त्रिदेव का वास माना जाता है. जड़ में ब्रह्मा जी, तने में विष्णु जी और सबसे ऊपर शाखाओं और पत्तों में भगवान शंकर. त्रिदेव के वास के कारण ही इसे देववृक्ष भी कहा जाता है. सत्यवान ने इसी वृक्ष के नीचे प्राण त्यागे थे साथ ही ज्येष्ठ मास की तपती धूप में महिलाओं के पूजन के लिए इस वृक्ष को इसलिए भी चुना गया है क्योंकि सबसे अधिक छाया इसी वृक्ष में होती है. बहुत से परिवारों में बरगद की एक डाल को आंगन के बीच में चौक बना कर मिट्टी में लगाकर पूजन किया जाता है.
वट वृक्ष की परिक्रमा और कच्चा सूत
सुहागिन महिलाएं वट सावित्री के व्रत में वट वृक्ष का विधि विधान से पूजन करने के बाद उसकी सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटती हैं. सात बार कच्चा सूत लपेटने का तात्पर्य है कि पति से उनका संबंध सात जन्मों तक बना रहे. इसके अलावा वट वृक्ष में अनेकों औषधीय गुण मौजूद होते हैं और इसे ऑक्सीजन का खजाना माना जाता है, इसके पेड़ में निकलने वाली कोपल को खाकर ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं. इस कोपल में एंटी ऑक्सीडेंट के साथ ही गजब की इम्युनिटी पॉवर होती है.
(Dislaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)