Black Hole Destroy Star: खगोलविदों ने ऐसे सुपरमैसिव ब्लैक होल का पता लगाया है जो एक तारे को तबाह करने के बाद उसके अवशेषों से दूसरे तारे को निशाना बना रहा है.
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Science News in Hindi: वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक होल्स ब्रह्मांड की सबसे खतरनाक चीज हैं. असीम गुरुत्वाकर्षण वाले ब्लैक होल आसपास मौजूद पदार्थ को निगलकर अपना आकार बढ़ाते हैं. सुरसा के मुंह की तरह वे रास्ते में आने वाली हर चीज डकार जाते हैं. वैज्ञानिकों ने एक सुपरमैसिव ब्लैक होल के राक्षसी व्यवहार को अपनी आंखों से देखा है. इस ब्लैक होल ने बेरहमी से एक तारे के चीथड़े उड़ाए. फिर उन्हीं चीथड़ों से दूसरे तारे को निशाना बनाने में लगा है.
यह सुपरमैसिव ब्लैक होल पृथ्वी से करीब 210 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर मौजूद आकाशगंगा AT2019qiz के केंद्र में स्थित है. ब्लैक होल उस तारे के अवशेषों को, जिसे उसने पहले नष्ट कर दिया था, किसी अन्य तारे या शायद उसके चारों ओर परिक्रमा कर रहे किसी छोटे तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल की ओर फेंक रहा है. ब्रह्मांड की इस हॉरर मूवी को सबसे पहले 2019 में देखा गया था. ऐसी घटनाओं को वैज्ञानिक 'टाइडल डिसरप्शन इवेंट' या TDE कहते हैं.
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दूसरी बार दिखी ब्लैक होल की राक्षसी प्रवृत्ति
वैज्ञानिकों का अनुमान था कि 2023 में ऐसा ही TDE फिर देखने को मिलेगा. इसलिए उन्होंने NASA के Chandra एक्स-रे टेलीस्कोप, हबल स्पेस टेलीस्कोप, न्यूट्रॉन स्टार इंटीरियर कंपोजिशन एक्सप्लोरर (NICER) और नील ग्रेहल स्विफ्ट ऑब्जर्वेटरी समेत तमाम टेलीस्कोप को काम पर लगा दिया.
इस वीभत्स कहानी की नई कड़ी में नष्ट हुए तारे के अवशेष शामिल हैं, जो इस जानलेवा ब्लैक होल के चारों ओर कब्रिस्तान की तरह बस गए हैं. इससे तारकीय पदार्थ का एक चपटा बादल बन गया है. यह तारकीय मलबा इस हद तक फैल गया है कि AT2019qiz के सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों ओर चक्कर लगाते समय एक परिक्रमा करने वाली वस्तु बार-बार इससे टकराती है.
यूनाइटेड किंगडम के क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के टीम लीडर मैट निकोल ने एक बयान में कहा, 'कल्पना कीजिए कि एक गोताखोर बार-बार पूल में जाता है और हर बार पानी में प्रवेश करने पर छप-छप करता है. इस तुलना में तारा गोताखोर की तरह है, और डिस्क पूल है, और हर बार जब तारा सतह से टकराता है, तो यह गैस और एक्स-रे का एक विशाल 'छप' बनाता है. जैसे-जैसे तारा ब्लैक होल के चारों ओर परिक्रमा करता है, यह बार-बार ऐसा करता है.' निकोल और उनकी टीम की रिसर्च के नतीजे पिछले सप्ताह 'नेचर' पत्रिका में छपे हैं.