La Nina and El Nino: कभी आपने सोचा है कि दुनिया भर में तेज बारिश और सर्दियों का मौसम क्यों आता है. हो सकता है ये पता लगा पाने में आप असमर्थ रहे हों. हालांकि हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया के मौसम पर क्या असर डालता है ला नीना और अल नीनो.
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La Nina and El Nino: आपने ला नीना और अल नीनो का नाम सुना होगा. ला नीना प्रशांत महासागर में होने वाला एक मौसम पैटर्न है जबकि अल नीनो एक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है. पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र का पानी ठंडा होने की वजह से ला नीना की स्थिति पैदा होती है वहीं अल नीनो अपने साथ गर्म पानी लेकर आती है. इसका दुनिया के मौसम में क्या असर पड़ रहा है आइए जानते हैं.
ला नीना की बात करें तो इसके प्रभाव की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में मौसम ठंडा हो जाता है. इसके अलावा तेज तूफान और बारिश भी आ सकती है. हालांकि अमेरिकी सरकारी एजेंसी ‘नेशनल ओशेन एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए)' के अनुसार, इस बार ला नीना की स्थिति बहुत कमजोर है.
जानकारी के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि ला नीना की स्थिति सामान्य होती है तो पूर्व से पश्चिम ओर बहने वाली हवाएं तेज हो जाती हैं. वहीं अल नीनो के दौरान ये काफी ज्यादा कमजोर हो जाती हैं. इसका असर इंडोनेशिया में देखा जा रहा है. ये हवाएं पूर्व से पश्चिम की ओर बह रही हैं. ऐसे में वहां बादल छाए हैं और भारी बारिश हो रही है.
इस बार ला नीना की स्थिति देर से बनी है और वह काफी ज्यादा कमजोर है, ऐसा कहा जा रहा है कि ये ज्यादा देर तक नहीं रहेगी. एनओएए के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने बताया है कि 59 प्रतिशत संभावना है कि फरवरी से अप्रैल तक ला नीना की स्थिति हो सकती है. इसके अलावा 60 प्रतिशत उम्मीद है कि मार्च से मई के महीने में स्थिति सामान्य हो जाएगी.
विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि अगर गर्मियों तक ला नीना की स्थिति बनी रहती है तो इसकी वजह से उत्तरी गोलार्ध अटलांटिक महासागर में अधिक विनाशकारी और तेज तूफान आने की संभावना बढ़ सकती है.
इसके अलावा अल नीनो की बात करें तो इसका काम ला नीना के बिल्कुल विपरीत है. इसके असर से भयंकर गर्मी और सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है. यह 2023 में रिकॉर्ड वैश्विक तापमान से जुड़ा था, जो अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा. जानकारी के अनुसार अल नीनो की स्थिति दो से सात साल के बाद बनती है. इसकी वजह से प्रशांत महासागर में पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर हो जाती हैं और कभी-कभी तो उल्टी दिशा में भी बहने लगती हैं. शोधकर्ताओं की मानें तो अल नीनो का पूर्वी अफ्रीका में होने वाली बारिश पर सीधा असर नहीं पड़ता है, लेकिन उन्होंने कहा कि अल नीनो की वजह से हिंद महासागर में एक और जलवायु पैटर्न बन सकता है.