Pinaka Multiple Rocket Launcher: पिनाका का सफल परीक्षण पहले ही हो चुका है. अब मिलिट्री एक्सरसाइज में इसकी टेसिटिंग हो रही है. जिसे बेहद कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए बनाया गया है.
Trending Photos
Pinaka multi-barrel rocket launcher: भारतीय सेना लगातार अपने रॉकेट की रेंज और ताकत बढ़ाने में जुटी है. आए दिन ऐसे मिशन की तस्वीरें और वीडियो शेयर किए जाते हैं. इसी कैटेगिरी में शामिल है पिनाका, जिससे सेकेंडों में दनादन रॉकेट दागे जा रहे हैं. दुश्मनों को आंख दिखाता ऐसा ही एक वीडियो हाल में सामने आया तो पाकिस्तान और चीन दोनों की नींद उड़ गई. दरअसल भारतीय सेना के पास मौजूद हथियारों के बेडे़े में लगातार इजाफा हो रहा है. वहीं पहले से जो हथियार हैं उनकी मारक क्षमता बढ़ाई जाने के लिए लगातार परीक्षण जारी हैं.
10 हजार करोड़ की पिनाका डील को
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी अफेयर्स ने एरिया डेनियल म्यूनिशन और पिनाका एन्हांस्ड रेंज रॉकेट सहित 10,000 करोड़ रुपये से अधिक गोला-बारूद खरीदने की मंजूरी दी थी. यानी भारतीय सेना की परियोजना को सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी है. इसके बाद एक बार पिनाका के वीडियो और तस्वीरें शेयर और सर्च होने लगीं.
#Pinaka #PINAKAammunition #Pinakamultibarrelrocketlauncher #Pinakarocketsystem #Indianarmy #Indiamajordefencedeal pic.twitter.com/b6PaLkqRtf
— Shwetank Ratnamber (@swwetanksr) February 1, 2025
क्या है पिनाका?
तो देखा आपने ये वीडियो था स्वदेशी पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर का. ये वो सिस्टम है जिसे पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है. पिनाका केवल 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम है. यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट इससे ऑटो मोड में फायर हो जाता है. एक्सरसाइज के दौरान इसकी मारक क्षमता, सटीकता और एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने की ताकत को परखा जाता है.
पिनाक रॉकेट लॉन्चर की ताकत
पिनाका सिस्टम को DRDO के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है.
-जिसका नाम शिव के धनुष 'पिनाक' पर रखा गया है.
-रॉकेट की रेंज करीब 75-100 KM तक है.
-जिसे 120 से 300 KM तक बढ़ाने की तैयारी चल रही है.
-पिनाका में एक साथ 12 रॉकेट होते हैं.
-ये 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम है.
पिनाका का कामयाब परीक्षण कई बार बहुत पहले हो चुका है. अब मिलिट्री एक्सरसाइज में टेस्टिंग हो रही है. इसे बेहद कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए खास तौर से डिजाइन किया गया है.