कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में लहराएंगे तिरंगा.. बनेंगे पहले इंडियन
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कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में लहराएंगे तिरंगा.. बनेंगे पहले इंडियन

ISS: नासा और उसके साझेदारों ने इस मिशन के चालक दल को मंजूरी दे दी है. सभी अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करेंगे. 

कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में लहराएंगे तिरंगा.. बनेंगे पहले इंडियन

Shubhanshu Shukla: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की तरफ से एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ गई है. भारतीय वायुसेना IAF के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन ISS तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने जा रहे हैं. नासा और इसरो के संयुक्त मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला Axiom Mission 4 के तहत ISS की यात्रा करेंगे. इस मिशन का प्रक्षेपण 2025 के वसंत में फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए किया जाएगा. यह अंतरिक्ष अभियानों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा. लेकिन इस मिशन के मायने क्या हैं और शुभांशु शुक्ला कौन हैं.. इसे भी समझना जरूरी है. 

शुभांशु शुक्ला कौन हैं?
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था. उन्होंने 2006 में भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में कमीशन प्राप्त किया. वे एक अनुभवी टेस्ट पायलट हैं और उनके पास 2,000 से अधिक उड़ान घंटों का अनुभव है. वे विभिन्न प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमानों जैसे Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 पर उड़ान भर चुके हैं. मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया. इसके अलावा शुभांशु शुक्ला भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए भी बतौर अंतरिक्ष यात्री चुने गए हैं.

अंतरिक्ष में भारत की नई छलांग
Axiom Mission 4 का उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षा में अनुसंधान और प्रयोगों को बढ़ावा देना है. यह मिशन नासा और इसरो के बीच सहयोग को और मजबूत करेगा और भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशनों में प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगा. इस मिशन में शामिल होने के साथ ही शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में निजी यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे. यह कदम भविष्य में अंतरिक्ष में वाणिज्यिक और वैज्ञानिक अभियानों के लिए नए द्वार खोलेगा.

निजी अंतरिक्ष मिशनों की बढ़ती भूमिका
नासा की ISS कार्यक्रम प्रबंधक डाना वेगेल ने कहा कि निजी अंतरिक्ष यात्रियों के मिशन पृथ्वी की निचली कक्षा में अनुसंधान को बढ़ाने में मदद करते हैं और अंतरिक्ष की संभावनाओं का विस्तार करते हैं. Axiom Space इससे पहले तीन निजी अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है. Ax-1 अप्रैल 2022 में 17 दिनों तक, Ax-2 मई 2023 में और Ax-3 जनवरी 2024 में 18 दिनों तक ISS पर रहा. Ax-4 मिशन भी इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे विभिन्न देशों को अंतरिक्ष में नई संभावनाओं को तलाशने का मौका मिलेगा.

यात्रा पर क्या बोले शुभांशु शुक्ला
शुभांशु शुक्ला ने अपने मिशन को लेकर कहा कि वे इस अनुभव को भारतीय नागरिकों के साथ साझा करने को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने साथ कुछ भारतीय प्रतीकात्मक वस्तुएं ले जाना चाहते हैं और ISS पर कुछ योग मुद्राएं करने की योजना बना रहे हैं. यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर को अंतरिक्ष तक पहुंचाने का एक अनूठा प्रयास होगा.

कार्यक्रम का भविष्य
इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुभांशु शुक्ला को आधिकारिक रूप से आईएसएस के लिए निजी अंतरिक्ष उड़ान एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) का पायलट नामित किया गया है. नासा और उसके अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने इस मिशन के चालक दल को मंजूरी दे दी है. सभी अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करेंगे. इस मिशन का संचालन निजी अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से किया जा रहा है. चार अंतरिक्ष यात्री इस मिशन के तहत दो सप्ताह तक आईएसएस में रहेंगे जहां वे कई वैज्ञानिक शोध करेंगे. हालांकि एक्सिओम 4 मिशन को मार्च से जून के बीच प्रक्षेपित किए जाने की संभावना है.

इस मिशन में भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं. अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन को मिशन का कमांडर बनाया गया है. जो नासा में अपने 675 दिनों के अनुभव के साथ अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं. पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना के शुभांशु शुक्ला का चयन किया गया है जो इसरो के गगनयान मिशन का भी हिस्सा हैं. पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की पहले CERN में इंजीनियर रह चुके हैं. मिशन स्पेशलिस्ट की भूमिका निभाएंगे जबकि हंगरी के मैकेनिकल इंजीनियर टिबोर कापू स्पेस रेडिएशन प्रोटेक्शन में विशेषज्ञता रखते हैं मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल होंगे.

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