Game Over: बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर चेतन शर्मा के डोपिंग को लेकर हुए खुलासे के बाद अब फिटनेस टेस्ट को लेकर सवाल उठने लगे हैं, दरअसल पूरे देश की नजरें इस मामले पर हैं और हर कोई सच जानना चाहता है.
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Chetan Sharma Sting: बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर चेतन शर्मा पर ज़ी न्यूज़ के स्टिंग ऑपरेशन के बाद देश भर में सनसनी मच गई है. आपको बता दें कि चेतन शर्मा ने बड़े क्रिकेटर्स को लेकर जो खुलासे किए हैं उनसे देश हैरान रह गया है. डोपिंग को लेकर इससे पहले अब तक कोई भी बड़ा मामला सामने नहीं आया था लेकिन इस खुलासे के बाद किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है कि भारतीय क्रिकेट टीम के अंदर यह सब कुछ चल रहा था और किसी को कानों कान भनक नहीं लगी. इस खुलासे के बाद आप लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर भारतीय क्रिकेट टीम के फिटनेस टेस्ट में ऐसा क्या होता है जिसकी वजह से खिलाड़ियों को दवाइयों का सहारा लेना पड़ सकता है. आज हम आपको भारतीय क्रिकेट टीम के लिए होने वाले फिटनेस टेस्ट के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
फिटनेस के लिए किया जाता है Yo-Yo टेस्ट
भारतीय क्रिकेट टीम की फिटनेस को टेस्ट करने के लिए Yo-Yo टेस्ट का सहारा लिया जाता है और इसमें पास होने पर ही खिलाड़ियों को टीम इंडिया में जगह मिलती है और अगर कोई खिलाड़ी इस टेस्ट को पास नहीं कर पाता है तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. अगर आप इस टेस्ट के बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
आपको बता दें कि यो यो टेस्ट एक तरह से 20 मीटर की दूरी पर बनी दो लाइनों के बीच रेस लगाने की प्रक्रिया है जिसमें खिलाड़ियों को एक निश्चित समय दिया जाता है और उनको अचानक से एक स्टेप लेने को कहा जाता है. इसकी शुरुआत होती है सीटी बजने से जिसके बाद खिलाड़ियों को तुरंत मोड़ना पड़ता है और रेस के दौरान खुद को कंट्रोल करना रहता है और फिर तुरंत वापस दौड़ना रहता है. आपको बता दें कि हर खिलाड़ी को अपनी दौड़ने की स्पीड बढ़ानी होती है और इसके लिए खास समय तय किया जाता है और उस समय पर स्पीड बढ़ाई जाती है.
आपको बता दें कि खिलाड़ियों को रेस पूरा करने के लिए जो समय दिया जाता है अगर उस समय में खिलाड़ी भी उसको पूरा नहीं कर पाता है तो उसे एक अन्य मौका मिलता है जिसके बाद दो बार सीटी बजती है और उसे तेजी से दौड़ना होता है. इसके बाद जब सिटी फिर से सुनाई देती है तब खिलाड़ी को पीछे की तरफ बोलना होता है. स्टेप की खास बात यह है कि अगर खिलाड़ी तय समय पर दोनों छोरों पर नहीं पहुंच पाता है तो उसे तुरंत ही फिटनेस टेस्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. टेस्ट के दौरान खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को एक विशेष सॉफ्टवेयर से रिकॉर्ड भी किया जाता है जिससे टेस्ट बखूबी किया जा सके और इसमें किसी तरह की चूक ना हो पाए.
इस टेस्ट में होते हैं 23 लेवल
आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि इस टेस्ट में कुल मिलाकर 23 लेबल होते हैं जो काफी चैलेंजिंग होते हैं और हर खिलाड़ी इन्हें पार कर जाए ऐसा जरूरी नहीं है. पांचवी और 90 लेवल तक शटल होता है वही 11 लेवल पर स्पीड लेवल 2 शटल होते हैं. इसमें जो खिलाड़ी 12 और 13 लेवल पर पहुंच जाते हैं उनके लिए शटल की संख्या 3 हो जाती है. आपको बता दें कि यो यो टेस्ट पास करना आसान नहीं होता है और अगर कोई खिलाड़ी इस टेस्ट को पास कर लेता है तो वह टीम में जगह बना लेता है और वह मैच खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार माना जाता है.
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