Apple Lab Video: Apple ने बताया कि वो कोई भी फोन लॉन्च करने से पहले कम से कम 10,000 आइफोन को अलग-अलग तरह के टेस्ट से गुजारती है. इन स्मार्टफोन्स को कई तरह की परिस्थितियों में काम करने के लिए बनाया जाता है, इसलिए इन्हें सख्त टिकाऊपन परीक्षणों से गुजरना पड़ता है.
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Apple अपने आइफोन की मजबूती को लेकर काफी गंभीर रहता है. इसीलिए लेटेस्ट iPhone 15 Pro मॉडल में कंपनी ने फोन को ज्यादा टिकाऊ बनाने के लिए टाइटेनियम बॉडी का इस्तेमाल किया है. हाल ही में यूट्यूबर MKBHD के साथ बातचीत में, कंपनी ने बताया कि वो कोई भी फोन लॉन्च करने से पहले कम से कम 10,000 आइफोन को अलग-अलग तरह के टेस्ट से गुजारती है. इन स्मार्टफोन्स को कई तरह की परिस्थितियों में काम करने के लिए बनाया जाता है, इसलिए इन्हें सख्त टिकाऊपन परीक्षणों से गुजरना पड़ता है. इन परीक्षणों में फोन को गिराया जाता है, खरोंचा और पानी में डुबोया जाता है.
हाल ही में, MKBHD ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में Apple के कुछ लैब्स में अपनी यात्रा के कुछ वीडियो शेयर किए. इस यात्रा के दौरान, कंपनी ने उन्हें दिखाया कि वे अपने iPhones की टिकाऊपन का परीक्षण कैसे करते हैं.
I recently got to visit some Apple labs where they durability test new iPhones before they come out, and learned a few things (THREAD)
#1: Have you actually seen how they water test phones for IP ratings? (video) pic.twitter.com/Qh3hfmlmdn
— Marques Brownlee (@MKBHD) May 29, 2024
ऐप्पल कैसे करता है आईफोन का ड्यूरेबिलिटी टेस्ट?
आईफोन को बनाने के बाद कंपनी ये सुनिश्चित करती है कि वो मजबूत और टिकाऊ हों. इसके लिए वो कई तरह के टेस्ट करती है. उदाहरण के लिए, मशीनों की मदद से बार-बार गिराना, तेज धूप में रखना, हल्के पानी के छींटों का सामना कराना, और तेज कंपन पैदा करना.
MKBHD नाम के एक यूट्यूबर ने हाल ही में एपल के लैब का दौरा किया था. वहां कंपनी के इंजीनियर John Ternus ने बताया कि हजारों iPhones (लगभग 10,000 से ज्यादा) को टेस्ट करने के बाद ही उन्हें बाजार में बेचा जाता है. इससे ये पता चलता है कि Apple अपने फोन की मजबूती को लेकर कितना गंभीर रहता है.
रिपेयर करना हो जाता है मुश्किल
John Ternus ने ये भी बताया कि iPhone को पानी में खराब होने से बचाने के लिए कंपनी स्पेशल गोंद और दूसरी चीज़ें इस्तेमाल करती है. इससे फोन मजबूत तो बनता है, लेकिन इसकी वजह से इसकी मरम्मत करना भी मुश्किल हो जाता है. फोन को खोलना और ठीक करना आसान नहीं रहता.