Trending News: कंपनी के सीईओ डैन प्राइस ने ट्विटर पर लिखा कि, इस तरह सैलरी देने की शुरुआत उन्होंने 6 साल पहले की थी. तब से कितना भी बुरा समय आया हो, लेकिन कंपनी लगातार तरक्की कर रही है. सैलरी बढ़ाने के बाद से कंपनी का राजस्व तीन गुना तक बढ़ चुका है.
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Latest Trending News: कोरोना महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया के अधिकतर देश धीरे-धीरे आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रहे हैं. इसका असर काफी समय से दिख रहा है. अधिकतर कंपनियां खर्चे बचाने के लिए स्टाफ को नौकरी से निकाल रहीं हैं, कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की सैलरी कम कर दी है. पर इन सबके बीच एक ऐसी भी कंपनी है जो इन दोनों में से कोई काम नहीं कर रही है, बल्कि वह सैलरी बढ़ाकर दे रही है. इस कंपनी के सीईओ अपने कर्मचारियों को प्रति वर्ष 80 हजार डॉलर यानी करीब 63,65,008 रुपये सालाना की न्यूनतम सैलरी दे रहे हैं. वे अन्य कंपनियों को भी इस तरह के कदम उठाने और उचित सैलरी देने की अपील करते हैं.
इस कंपनी के सीईओ ने किया है कमाल
कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी देकर सुर्खियां बटरोने वाली ये कंपनी ग्रेविटी पेमेंट्स है. इसके सीईओ डैन प्राइस हैं जो सिएटल में इसके प्रमुख हैं. डैन प्राइस ने बताया कि वह अपने हर कर्मचारी को कम से कम 80 हजार डॉलर का पैकेज जरूर देते हैं. इसमें रिमोट वर्किंग और फ्लेक्सिबल काम का ऑप्शन भी होता है. इसके अलावा वह पैरेंटल लीव के लिए भी कुछ पैसे देते हैं.
हर कंपनी से ऐसा करने की अपील
डैन प्राइस ने ट्विटर पर लिखा कि, अन्य कंपनियों को भी अपने कर्मचारियों के लिए ऐसा ही करना चाहिए। उन्हें सम्मान देना चाहिए कि इस सफर में हमारे साथ रहे. उन्होंने कहा, "मेरी कंपनी सिर्फ सैलरी पैकेज ही नहीं, बल्कि स्टाफ की अन्य सुविधाओं का भी ध्यान रखती हैं. यहां कम से कम 80 हजार डॉलर से सैलरी शुरू होती है. उन्हें कहीं से भी काम करने की आजादी है. इस दौरान उन्हें ऑफिस जैसा वेतन ही मिलता है. इसके अलावा कंपनी पैरेंट्ल लीव पर जाने वालों को छुट्टी का भुगतान करती है. वह कहते हैं कि हमें प्रति नौकरी 300 से अधिक आवेदक मिलते हैं. वह कहते हैं कि खराब माहौल में कोई भी काम नहीं करना चाहता है. इसलिए हर कंपनी को अपने स्टाफ को उचित वेतन देना चाहिए.
My company pays an $80k min wage, lets people work wherever they want, has full benefits, paid parental leave, etc.
We get over 300 applicants per job.
"No one wants to work" is a hell of a way of saying "companies won't pay workers a fair wage and treat them with respect."
— Dan Price (@DanPriceSeattle) August 8, 2022
6 साल पहले की थी पहल, कंपनी भी कर रही तरक्की
उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि कैसे उन्होंने आज से 6 साल पहले अपनी कंपनी में हर कर्मचारी की सैलरी 70 हजार डॉलर वार्षिक की थी, जिसे बढ़ाकर अब 80 हजार डॉलर कर दिया है. उन्होंने बताया कि जब से सैलरी बढ़ाई, तब से ही कंपनी का राजस्व भी तीन गुना हो गया है.
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