'मेरे पिता मर गए हैं', झूठ बोलकर हासिल किया 85,000 अमेरिकी डॉलर की स्‍कॉलरशिप, भौकाल के चक्‍कर में खुल गई पोल
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'मेरे पिता मर गए हैं', झूठ बोलकर हासिल किया 85,000 अमेरिकी डॉलर की स्‍कॉलरशिप, भौकाल के चक्‍कर में खुल गई पोल

Indian Student to Return Home: एक 19 साल के भारतीय छात्र ने अमेरिका में ऐसा कारनामा किया है, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. आइए जानते हैं कि कैसे आर्यन आनंद नाम के भारतीय लड़के ने 85,000 अमेरिकी डॉलर की स्‍कॉलरशिप ली, लेकिन उसकी पोल खुल गई,और अब वह भारत वापस भेजा जा रहा है. 

'मेरे पिता मर गए हैं', झूठ बोलकर हासिल किया 85,000 अमेरिकी डॉलर की स्‍कॉलरशिप, भौकाल के चक्‍कर में खुल गई पोल

 

Indian student: अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाने के लिए भारतीय लड़के ने जो तरीका अपनाया, उसकी पोल खुलने के बाद सब हैरान हैं. 19 साल के आर्यन आनंद ने पेंसिल्वेनिया के लेहाए यूनिवर्सिटी एडमिशन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा कराए थे. जिसमें कहा था कि उसके पिता की मौत हो गई है, इसलिए लेहाए विश्वविद्यालय ने आनंद को 85,000 अमेरिकी डॉलर की मदद स्‍कॉलरशिप के तौर पर की. 

कैसे खुली पोल
आनंद की ओर से प्रवेश के लिए दस्तावेजों में हेरफेर किए जाने का पूरा मामला तब सामने आया, जब उसने सोशल मीडिया ‘रेडिट’ पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें लिखा  ‘मैंने झूठ की बुनियाद पर अपना जीवन और करियर बनाया.’’ हालांकि, उस पोस्ट में उसने अपनी पहचान उजागर नहीं की थी, लेकिन हेरफेर के तरीके की विस्तृत जानकारी दी थी. बाद में आनंद ने उस पोस्ट को हटा दिया था, लेकिन पुलिस की जांच में पता चला कि यह पोस्ट आनंद ने ही किया था. 

पिता की मौत पर बोला झूठ 
लेहाए विश्वविद्यालय के छात्रों की ओर से प्रकाशित समाचार पत्र ‘द ब्राउन एंड व्हाइट’ की पिछले महीने की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पुलिस जांच में पाया गया है कि आनंद ने प्रवेश और वित्तीय सहायता संबंधी दस्तावेजों में हेरफेर की है. खबर में कहा गया था कि उसने दाखिला और छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए ‘‘अपने पिता की मौत का झूठा दावा भी किया था.’’

आनंद पर चलाया गया मुकदमा
आनंद पर मजिस्टेरियल डिस्ट्रिक्ट जज जॉर्डन निस्ले की अदालत में मुकदमा चलाया गया, जिसकी जमानत राशि 25 हजार अमेरिकी डॉलर थी. उसे जालसाजी के आरोप में दोषी ठहराया गया. वेबसाइट ‘लेहाएवैलीलाइव डॉट कॉम’ ने बचाव पक्ष के वकील मौली हेइडोर्न के हवाले से बताया कि याचिका समझौते के तहत आनंद को एक से तीन महीने की सजा सुनाई गई, ‘जो उसके द्वारा जेल में बिताई गई अवधि’ के समान है. इस समझौते के तहत आनंद को भारत लौटना होगा. यूनिवर्सिटी ने अपनी स्‍कॉलरशिप को वापस नहीं मांगा है, आनंद को रिहा करके अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया है. 

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